आज हमारे देश में इंकलाब आया है
जागी है उम्मीद
तीन तलाक पर काफी लंबे समय तक चली बहस के बाद मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया। यह फैसला हकीकत में देश में इंकलाब लाने वाला फैसला है। इसका स्वागत मैं इस उम्मीद के साथ कर रही हूं कि एक ही बार में तीन तलाक कहकर औरतों को घर से बेदखल करने जैसे मामले अब खत्म होंगे। अब मुस्लिम महिलाएं इस डर के साथ नहीं जिएंगी कि दहेज के नाम पर या दूसरे मामलों में कमी निकालकर उनका पक्ष जाने बिना, उन्हें बेघर कर दिया जाएगा। अब जब भी वे अपने साथ हुए जुल्म के खिलाफ फैमिली कोर्ट जाएंगी, तो वहां उनकी सुनवाई होगी। मैं खुश हूं कि महिलाओं के जहन से यह डर देश की सर्वोच्च अदालत ने खत्म किया है।
सरकार से मदद की आस
हालांकि इसमें हमें सरकार की मदद की भी दरकार होगी क्योंकि उसके पास असीमित संसाधन हैं। अगर वह अपने स्तर पर जागरूकता अभियान चलाएगी, तो इसके नतीजे भी जल्दी सामने आएंगे। हम चाहते हैं कि जिस तरह सरकार अपनी नीतियों और किए गए कामों का प्रचार-प्रसार करती है, उसी तरह कोर्ट के फैसले को लेकर भी लोगों को जागरूक करे। सोशल नेटवर्किंग साइट्स और विज्ञापनों के जरिए महिलाओं को उनके अधिकारों से अवगत करवाए तभी हकीकत में बदलाव नजर आएगा। कोर्ट ने अपने फैसले में 6 महीने के भीतर कानून बनाने का आदेश भी दिया है। मुझे उम्मीद है कि कानून निर्माता स्पेशल कोर्ट बनाकर मुस्लिमों को कानूनी तौर पर अलग होने का समान अवसर देंगे और वहां दोनों पक्षों की समान रूप से सुनवाई होगी। वहां जोडऩे की बात होगी न कि किसी एक पक्ष की बात सुनकर फैसला सुनाने की जल्दबाजी।
मुझे उम्मीद है कि सरकार महिला सुरक्षा अधिकारों को ध्यान में रखकर और इस्लाम के अनुसार एक ठोस कानून बनाएगी साथ ही व्हॉट्सएप, एसएमएस, फोन, ईमेल के जरिए तलाक देने पर रोक लगाएगी। निश्चित रूप से कोर्ट के फैसले के बाद आने वाले समय में अब तमाम महिलाओं को तीन तलाक की त्रासदी झेलनी नहीं पड़ेगी, लेकिन जो इसके कारण मुश्किलें झेल रही हैं उनके केस भी दोबारा खोले जाने चाहिए और नए सिरे से उनकी सुनवाई होनी चाहिए ताकि ऐसी महिलाओं को भी न्याय मिल सके, उन्हें भी नई जिंदगी जीने का अवसर मिल सके।