जब हिटलर को झेलनी पड़ी इस भारतीय नेता के सामने शर्मिंदगी, मांगी थी माफी
तानाशाह राजनेता का उदयजर्मनी के इतिहास में हिटलर का वही स्थान है जो फ्रांस में नेपोलियन बोनाबार्ट का, इटली में मुसोलनी का और तुर्की में मुस्तफा कमालपाशा का। हिटलर के पदार्पण के फलस्वरुप जर्मनी का कार्यकलाप हो सका। हिटलर ने अपनी असधारण योग्यता, विलक्षण प्रतिभा और राजनीतिक कटुता के कारण जर्मनी गणतंत्र पर अपना आधिपत्य कायम कर लिया। शुरुआत में हिटलर जर्मन सेना के एक अदने से सिपाही थे। लेकिन जैसे ही युद्ध खत्म हुआ, हिटलर ने सेना छोड़कर सक्रीय राजनीति का रुख कर लिया। और बाद में एक बड़ा तानाशाह राजनेता बनकर उभरा।
पूरी दुनिया के लिए हिटलर भले ही आंतक का पर्याय हो। लेकिन भारतीयों के आगे उसकी एक न चली। बात 1936 की है, जब जर्मनी में ओलंपिक हुए थे तब भारत का मुकाबला जर्मनी से हुआ जिसमें हॉकी के जादुगर ध्यानचंद की वजह से भारत ने जर्मनी को 8-1 से पटखनी दी थी। इस मैच को हिटलर भी देख रहा था और उसने ध्यानचंद के खेल से प्रभावित होकर उन्हें अपनी सेना में उच्च पद देने ओर जर्मनी की तरफ से खेलने की पेशकश दी। मगर देशभक्त मेजर ध्यानचंद ने यह पेशकश मुस्कुराते हुए ठुकरा दी।
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