इराक़ी शहर मोसुल पर इस्लामिक स्टेट आईएस ने इस साल जून में क़ब्ज़ा कर लिया था. इसके बाद वहां के निवासी जेहादी शासन के तहत आ गए थे.


आईएस के चरमपंथियों ने वहां तेज़ी से इस्लामी क़ानून लागू किया. इसमें बर्बर सज़ाएं, महिलाओं के लिए अलग क़ानून और किसी भी तरह के मतभेद के लिए असहिष्णुता की नीति है.एक विशेष श्रृंखला के तहत मोसुल के कुछ निवासी अपनी डायरी के ज़रिए बताएंगे कि आईएस के शासन में वे वहां किस तरह रह रहे हैं.डायरी लिखने वालों की पहचान छिपाने के लिए उनके नाम बदल दिए गए हैं.14 नवंबर 2014मायेसनिनवेह (मोसुल प्रांत) में स्कूल खुल गए हैं. लेकिन इस साल पहले जैसी बात नहीं है. आईएस ने छात्रों और स्कूल प्रशासन के लिए बहुत सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं.शहर के लोगों के लिए 'दुलक़ुरानियन' एक नया नाम है. यह निनवेह में आईएस के शिक्षा विभाग के सबसे बड़े अधिकारी का नाम है.


वह मिस्र के निवासी हैं. उनका पूरा ध्यान स्कूलों में लड़कियों को लड़कों से अलग करना है. उन्होंने लड़के और लड़कियों को अलग-अलग भवनों में जाने का निर्देश दिया है.बग़दाद में आयोजित शांति उत्सव में जमा लोगइसके अलावा स्कूलों में रंगों और रंगीन पेन के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी गई है.5 नवंबर 2014नीज़ार

संपादक की टिप्पणी: मोसुल पर आईएस के क़ब्ज़े से पहले यह शहर दुनिया के सबसे पुराने ईसाई समुदायों से में से एक का घर था.आईएस के आने के बाद उनमें से बहुत से लोग वहां से पलायन कर गए. जो बचे हैं, उन्हें आईएस ने इस्लाम अपनाने, धार्मिक कर देने या क़त्ल का सामना करने के लिए तैयार रहने को कहा है.मोसुल में ईसाइयों के घरों पर आईएस के सदस्यों ने क़ब्ज़ा कर उनमें लूटपाट की. आईएस के लड़ाके उन घरों के सामान का इस तरह प्रयोग करते हैं, जैसा कि वह उनका ही है.मेरे एक दूसरे दोस्त ने क़ब्ज़ाए गए इन घरों में से एक के पास जाकर यह जानने की कि उसमें हो क्या रहा है. लेकिन वह नाकाम रहा है, क्योंकि आईएस के लोग घर के सभी दरवाज़ों और खिड़कियों को बंद रखते हैं. वे बग़ीचे तक में बात नहीं करते हैं.मैं और मेरे दोस्तों ने मन्नतें मांगी हैं कि एक बार जब हमारे शहर से यह गंदगी और वीभत्सता ख़त्म हो जाएगी तो हम दुनिया या अपने ईसाई दोस्तों को यह बताने के लिए किसी ईसाई के घर को फिर बसाएंगे कि जिन्होंने ऐसा किया वह धर्म बिल्कुल नहीं है.24 अक्तूबर 2014फ़ैसल

इस्लामिक स्टेट को शहर पर क़ब्ज़ा किए हुए चार महीने हो चुके हैं. मैं और मेरा दोस्त अभी भी छिपे हुए हैं.वह मोसुल के किसी जज के बॉडीगार्ड के रूप में काम करता था. आईएस के क़ब्ज़े के बाद सभी जज भाग गए और मेरे दोस्त को छिपना पड़ा. मेरा दोस्त सड़क पर बहुत अधिक नहीं घूमता है, क्योंकि आईएस के लड़ाके शहरभर में फैले हुए हैं.इस साल गर्मी की छुट्टियां शुरू होने पर मैंने कुछ रिश्तेदारों और परिजनों से मिलने और एक पारिवारिक आयोजन में शामिल होने के लिए बग़दाद जाने का फैसला किया.वहां पार्टी ख़त्म होने के बाद मुझे मोसुल में कर्फ्यू लगने और सरकारी सुरक्षा बलों और इस्लामिक स्टेट के बीच लड़ाई छिड़ने की ख़बर मिली.उसके बाद मैं हर दिन अपने पति को फ़ोन करके वहां का हालचाल पूछती थी.दहशत और खलबलीमैंने अपने जीवन के सबसे बुरे दिन बग़दाद में गुजारे, जो कि मेरे बचपन की मासूमियत और जवानी के सपनों का शहर था. शादी के बाद मोसुल जाने से पहले मैं बगद़ाद में रहने को लेकर रोमांचित रहती थी.
मोसुल में पांच दिन तक चली लड़ाई के कारण मैं बग़दाद में आतंकित और भयभीत रही. मुझे अपने पति की चिंता हो रही थी. मैं लगातार यह सोचा करती थी कि वहां क्या होगा और मैं अपने पति के साथ फिर कब होउंगी.मोसुल में सुन्नी विद्रोहियों और आईएस लड़ाकों के आने के बाद मैं और मेरे पति शहर में वापसी की योजना बनाने लगे. लेकिन सभी सड़कें अभी भी बंद हैं, क्योंकि लड़ाई बग़दाद और मोसुल के बीच हो रही है.कुछ प्रयासों और मेरे पति के कुछ संपर्कों के जरिए हम किसी तरह बग़दाद से उत्तर के लिए हवाई टिकट लेने में सफल रहे. लेकिन हमारे सामने एक दूसरी समस्या आ खड़ी हुई, मेरे पास अपने बच्चों के दस्तावेज़ नहीं थे. सड़क मार्ग से यात्रा करने की वजह से उन्हें मैं अपने साथ नहीं ला पाई थी. उड़ान के लिए ये दस्तावेज़ बहुत ज़रूरी हैं.ये दस्तावेज़ हमें एक दोस्त के जरिए मिले जो कि कार से मोसुल से बग़दाद आ रहा था.मैं 20 जून की आधी रात के बाद मैं मोसुल में अपने घर पहुँची. मोसुल की सड़कों पर हथियारबंद दस्तों को गश्त लगाते देखे मैं चौंक गई. यह देख मैंने प्रार्थना की और तीन दिन तक व्रत रखा.
मैं कुछ समय घर पर रहकर स्थितियों से सामंजस्य बिठाया. लेकिन उन पलों को मैं कभी भी भूल नहीं पाउंगी.

Posted By: Satyendra Kumar Singh