इंडोनेशिया में हुए राष्ट्रपति चुनाव में जकार्ता के गर्वनर जोको विडोडो ने जीत दर्ज़ की है.


चुनाव आयोग के अनुसार विडोडो ने 53.15 फ़ीसदी वोट हासिल करके जीत दर्ज़ की जबकि उनके प्रतिद्वंदी पूर्व जनरल प्राबोवो सुबियान्त को 46.85 फ़ीसदी मत मिले.लकड़ी विक्रेता के बेटे विडोडो का जन्म 1961 में सोलो शहर में हुआ.वह अपने परिवार के साथ नदी किनारे बने घर में रहते थे. बाद में सरकार ने उनके परिवार को यहां से बेदख़ल कर दिया था.साफ़ छविकहा जाता है कि विडोडो को ग्रामीण और शहरी इलाक़ों के युवाओं का समर्थन हासिल है, जो उनको एक साफ़ छवि वाले राजनेता के रूप में देखते हैं.जोको विडोडो को तकनीक का समर्थक माना जाता है, जो 'ई-गर्वनेंस' से भ्रष्टाचार में कमी लाने का वादा करते हैं. उन्होंने राष्ट्रपति चुनावों के दौरान होने वाली बहस में कहा , "मेरे लिए लोकतंत्र का मतलब लोगों को सुनना और वह काम करना है जो लोग चाहते हैं."


उन्होंने आगे कहा, "इसीलिए मैं गाँवों, स्थानीय बाज़ारों में जाता हूं. नदी किनारे रहने वाले लोगों, किसानों और मछुआरों से मिलता हूं क्योंकि मैं जानना चाहता हूं कि लोग क्या चाहते हैं?"जोको विडोडो

एक इंडोनेशियाई कारोबारी विडोडो की जीत पर कहते हैं, "उन्होंने हमारे लिए संभव बनाया है कि हम अपने बच्चों से कह सकें, जोकोवी को देखो. वह फर्नीचर बेचता थे और ग़रीबी में पले-बढ़े, अब वह हमारे राष्ट्रपति हैं. अब कोई भी देश का राष्ट्रपति बन सकता है."इंडोनेशिया में अब तक केवल राजनीतिक घरानों और सेना के उच्च तबके के लोग राष्ट्रपति चुने गए हैं. यह पहला मौका है जब व्यवस्था से बाहर का व्यक्ति इतने ऊंचे पद तक पहुंचा है.लेकिन विडोडो के आलोचक कहते हैं कि उन्हें राष्ट्रीय राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों का कोई अनुभव नहीं है.विश्लेषक इस बात की ओर भी इशारा करते हैं कि उनके गठबंधन के पास संसद में सिर्फ 37 प्रतिशत सीटें हैं ऐसे में अपनी नीतियों को लागू करने में उन्हें दिक्कतें आ सकती हैं.

Posted By: Satyendra Kumar Singh