फ़िलीपींस के ताकलोबान शहर में तूफ़ान प्रभावित भूखे-प्यासे लोगों की भीड़ ने चावल के गोदाम पर क़ब्ज़ा करने की कोशिश की जिसमें आठ लोग मारे गए हैं.


ये लोग तब मारे गए जब गोदाम की इमारत की एक दीवार ढह गई.इस बीच सरकार ने साफ़ कर दिया है कि फ़िलीपींस में तूफ़ान की वजह से अब तक 2200 लोग मारे जा चुके हैं.इलाक़े के एक नेता मार्टिन रोमुआल्देज़ नेकहा है कि लोग भोजन, पानी और मेडिकल सप्लाई न मिलने से बुरी तरह परेशान हैं.उन्होंने कहा है कि क़ानून व्यवस्था की कमी की वजह से चीज़ों का वितरण और मदद पहुंचाने में दिक़्क़तें आ रही हैं और सरकार की तरफ़ से तुरंत इस दिशा में कोई क़दम उठाने की ज़रूरत है.रोमुआल्देज़ ने यह भी जोड़ा कि ताकलोबान शहर के आसपास का इलाक़ा ग्राउंड ज़ीरो की तरह हो गया है. उनके मुताबिक़ लग रहा है मानो यहां कोई बम फटा है और जिसे शुरू से ही बनाना होगा.


फ़िलीपींस में आए हेयान तूफ़ान के कारण वहां पर भारी तबाही मची है. इस तबाही से उबरने में सालों लग जाएंगे.'भारत मदद दे तो अच्छा'फ़िलीपींस में रहने वाले भारतीय मूल के एक नागरिक जोनी चोटरानी ने बीबीसी संवाददाता विनीत खरे को बताया कि वह फ़िलीपींस में पिछले 36 सालों से रह रहे हैं.

वैसे तो  फ़िलीपींस में हर साल तकरीबन 25 तूफ़ान आते हैं। इस साल नवंबर तक 25 तूफ़ान आ चुके हैं और हेयान इनमें सबसे ताकतवर था.उन्होंने कहा कि  तूफ़ान के बाद दुनिया भर के शुभचिंतकों के फोन आ रहे हैं. कुछ ही देर पहले मेरी बहन ने फोन किया था.उन्होंने बताया कि मेट्रोमेलेना में भारतीय समुदाय के लोग रहते हैं. उनमें से अधिकतर उत्तरी इलाक़े में हैं.तूफ़ान का असर दक्षिणी  फ़िलीपींस में है और वहां पर करीब 8-10 भारतीय परिवार हैं. भारतीय मूल के लोगों की मौजूदगी कम है, ऐसे में बहुत चिंतित होने की ज़रूरत नहीं है.उन्होंने कहा कि पूरा ताकलोबान शहर और आसपास का इलाका तबाह हो गया है. इस शहर और आसपास 70-80 लाख लोग रहते हैं.उनका कहना है कि अगर भारत सरकार इनकी सहायता करती है तो दोनों देशों के रिश्तों के लिए यह काफी अहम होगा. भारत सरकार दवाइओँ समेत दूसरी सहायता दे सकती है. इस वक्त फ़िलीपींस को दवाओं की सख़्त ज़रूरत है.

Posted By: Satyendra Kumar Singh