ई-रिटेलिंग और भारतीय बाज़ार की 7 बातें
जिस अख़बार में यह ख़बर छपी थी उसके अनुसार फ़्लिपकार्ट इसके बदले दूसरा फ़ोन भेज रहा है. स्नैपडील ने पैसा वापस कर दिया है (और विशेष पहल करते हुए विम साबुन बनाने वाली कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर ने उस उपभोक्ता को एक सैमसंग फ़ोन भेजा है).गुड़गांव में एक मोबाइल-फ़ोन स्टोर के मालिक ने ऐसी ख़बरों की कतरनों को बोर्ड पर लगा रखा है ताकि यह बताया जा सके कि ऑनलाइन ख़रीदारी कितनी अविश्वसनीय हो सकती है.वह यह भी कहते हैं कि भारतीय ऑनलाइन ख़रीदारी के लिए अपने क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने को लेकर सहज नहीं हैं. और हां, पिछले साल ख़ुदरा ख़रीद में से ऑनलाइन बिक्री का हिस्सा 1% से भी कम था.
सभी उपभोक्ता ऑनलाइन ख़रीदारी नहीं करते. लेकिन उनमें से बहुत से मॉलों, डिपार्टमेंट स्टोरों और तो और किराना स्टोरों में जाने से पहले ऑनलाइन दाम देख लेते हैं. वह बहुत ज़्यादा सौदेबाज़ी करते हैं.लेकिन ऑनलाइन मिलने वाले ऑफ़र्स में अक्सर डिस्काउंट होते हैं, कई बार सब्सिडी भी होती है. उनसे मुकाबले के लिए कई बार दुकानदारों को घाटे में माल बेचना पड़ता है.कुछ उत्पादों पर भारी असर
जाने-माने ब्रांडों, मॉडल और विशिष्टता वाले उत्पादों को ऑनलाइन ख़रीदना आसान होता है. महानगरों से बाहर के कुछ कंप्यूटर उत्पादों के व्यापारियों ने तो बिक्री में 25% तक गिरावट की बात कही है, जिसकी वजह वह ऑनलाइन बिक्री को बताते हैं.मोटोरोला और शियोमी जैसे कुछ फ़ोन ब्रांड तो फ़्लिपकार्ट जैसे ई-रिटेलर्स के साथ 'एक्सक्लूसिव' डील्स कर रहे हैं.छोटे कस्बों में बड़ा बाज़ार
एक बार फिर ई-रिटेलर निवेशकर्ताओं के पैसे को ही डिलिवरी और लॉजिस्टिक्स में सब्सिडी देने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं.