50 हजार का इनामी नक्सली कमांडर नोएडा में अरेस्ट, जानें कैसे नक्सली बना बीटेक स्टूडेंट सुधीर भगत
* भाकपा माओवादी का एरिया कमांडर है मुजफ्फरपुर निवासी सुधीर भगत
* हत्या के ममाले में पिता व भाई को सजा मिलने पर बीटेक की पढ़ाई छोड़ बन गया नक्सली
* तीन साल से पहचान छिपाकर नोएडा में रह रहा था नक्सल कमांडर
दो नाम से बना रखे थे पहचान पत्र
एसएसपी डॉ. अजय पाल शर्मा के मुतबिक, सोमवार रात सूचना मिली कि बिहार के प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी का एरिया कमांडर सुधीर भगत हरोला गांव स्थित जगत अमाना के मकान में किराये पर रह रहा है। जानकारी मिलने पर भारी संख्या में पुलिस फोर्स ने उस मकान को घेर लिया और आरोपी सुधीर को अरेस्ट कर लिया। पुलिस ने उसके कब्जे से उसके असल नाम के अलावा एक अन्य नाम आदित्य कुमार सिंह के नाम का पहचान पत्र भी बरामद किया। पड़ताल में पता चला कि वह बीते तीन साल से इस मकान में अपनी पहचान छिपाकर रह रहा था। सुधीर इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ वर्ष 2013 में नक्सली बना। वह मूलरूप से महोब्बतपुर गांव थाना देवरिया कोठी, मुजफ्फरपुर बिहार का रहने वाला है। वह हरौला में पत्नी, बच्चे, बहन व बहनोई के साथ रह रहा था। यहां कई कंपनियों में पार्ट टाइम काम करता था। उसके खिलाफ बिहार के अलग-अलग थानों में 15 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं।
इंजीनियर बनने आया था नोएडा
डीआईजी लॉ एंड ऑर्डर प्रवीण कुमार त्रिपाठी ने बताया कि वर्ष 2012 में सुधीर इंजीनियर बनने बिहार से नोएडा आया था। बीटेक की पढ़ाई के लिए उसने गाजियाबाद के मोदीनगर स्थित दिव्यज्योति कॉलेज में एडमिशन लिया। 2013 में उसके पिता रामेदव भगत का गांव में विवाद हो गया। जिसके बाद सुधीर बिहार चला गया। जहां उसने भाई व पिता के साथ मिलकर एक व्यक्ति पर जानलेवा हमला कर दिया। पहली बार इसी मामले में उस पर केस दर्ज हुआ। इसके बाद वह भाकपा माओवादी के जोनल कमांडर अनिल राम के संपर्क में आया और नक्सली संगठन में शामिल हो गया। सुधीर ने मोतिहारी में मनन सिंह, मुजफ्फरपुर में महेश्वर भगत, भोला सिंह हत्याकांड को अंजाम दिया। मोतीपुर सीएनसी प्लांट व गेमैन इंडिया कंपनी और मोतिहारी में दो मालगाडिय़ों में ब्लास्ट किया था। इसके बाद उसे नक्सली संगठन का एरिया कमांडर बना दिया गया।
हथियार चलाने की ट्रेनिंग देता था
डीआईजी त्रिपाठी ने बताया कि सुधीर नोएडा में रहकर वाराणसी व छतीसगढ़ के नक्सलियों के संपर्क में था। वह एके-47 और एके-56 राइफल चलाने का एक्सपर्ट है। यही वजह है कि वह नक्सलियों को एके-47, एके-56 और कारबाइन समेत अन्य हथियार चलाने की ट्रेङ्क्षनग देता था। वह दिल्ली-एनसीआर में नक्सली संगठन के लिए जमीन तैयार करने में जुटा हुआ था।