उत्‍तर प्रदेश के सहारनपुर में सकतपुर इलाके में खुदाई के दौरान भट्ठियां सिल-बट्टे और मिट्टी के बर्तन मिले हैं। जिनके बारे में पुरातत्‍व विभाग का दावा है कि वे चार हजार साल पुरानी हड़प्‍पा सभ्‍यता के अवशेष हो सकते हैं।


चार हजार साल से भी पुराने मिट्टी के बर्तनउप्र के सहारनपुर स्थित सकतपुर में हड़प्पा की तरह बड़ी सभ्यता थी। यहां के लोग सिल-बट्टा का प्रयोग करते थे। भट्टियों की तकनीक से भी परिचित थे। बच्चों के लिए खिलौने बनाते थे। ये जानकारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के उत्खनन के दौरान सामने आई जब यहां चार हजार साल से भी पुराने मिट्टी के बर्तन मिले। अब एएसआइ इनके सही काल और प्रयोग का पता लगाने में जुटी है। पांच प्रसिद्ध नास्तिक जो भाग्य नहीं कर्म को मानते हैं सफलता का मंत्रबर्तन बनाने की विशालकाय भट्टी


सहारनपुर की रामपुर मनिहारन तहसील के सकतपुर मुस्तकिल में जुलाई, 2016 में भी ईंट भट्टे पर मिट्टी खोदने के दौरान आधा दर्जन ताम्र कुठार मिले थे। उसके बाद से ही इतिहास की दृष्टि से बहुमूल्य खजाने की तलाश में एएसआइ  75 मीटर लंबे और 22 मीटर चौड़े क्षेत्र में उत्खनन कर रहा है। अब सकतपुर की उत्तर व दक्षिण दिशा में किए गए उत्खनन में अब बड़ी सफलता मिली है। यहां बड़ी भट्ठियां मिली हैं। गांव के किनारे पर मिली एक भट्ठी 7.5 फीट लंबी और चार फुट चौड़ी है। दूसरी भट्ठी इससे थोड़ी छोटी है। इनके नजदीक एएसआइ ने उत्खनन शुरू करा दिया है। एएसआइ अब यह पता लगाएगा कि इतनी बड़ी भट्टियों का प्रयोग उस काल में किस कार्य के लिए किया जाता था। प्रारंभिक रूप से माना जा रहा है कि  ये धातु को पिघलाने या पॉटरी बनाने के काम में प्रयोग की जाती रही होंगी। इसकी सही जानकारी उत्खनन पूरा होने पर वहां मिलने वाले कार्बन पार्टिकल्स से हो सकेगी। आखिर अमीर और अमीर क्यों होते जा रहे हैं?हड़प्पा सभ्यता जितनी पुरानी हो सकती है ये सभ्यता

अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. भुवन विक्रम ने बताया कि जुलाई के प्रथम सप्ताह तक यह काम पूरा कर लिया जाएगा। यहां जो पुरावशेष अब तक मिले हैं, वह हड़प्पा सभ्यता के समकालीन हैं। एएसआइ के आगरा सर्किल ने फरवरी के अंतिम सप्ताह में सकतपुर के उत्खनन का काम शुरू किया था। बाद में पांच से सात किमी के दायरे में आने वाले गांवों को भी इस दायरे में शामिल कर लिया गया। बुद्धा खेड़ा, सड़ौली में भी ऐसे साक्ष्य मिले थे। शुरुआत में यहां उत्खनन में गैरिक मृद्भांड पात्र (2000 ईसा पूर्व) मिले। इनमें मृद्भांड के टुकड़े, मनके (माला के टुकड़े), जानवरों की छोटी मूर्तियां, गाडिय़ों के पहिए, सिल-लोढ़े आदि शामिल थे। उत्खनन के आगे बढऩे पर चार हजार साल से भी पुराने चित्रित मिट्टी के बर्तनों के टुकड़े मिले।आज ही के दिन पहली बार बदली गई थी किडनी

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Posted By: Molly Seth