-बरेली के 11 तो आंवला के 12 कैंडीडेट पर नोटा भारी

-बरेली और आंवला लोकसभा में कुल तीस उम्मीदार चुनावी मैदान में उतरे थे

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BAREILLY : बरेली और आंवला लोकसभा में जहां एक ओर लोगों ने भाजपा उम्मीदवार को सबसे ज्यादा वोट देकर सांसद चुना है. वहीं कुछ ऐसे भी वोटर हैं जिन्होंने नोटा का बटन दबाया है. हैरत की बात है कि बरेली लोकसभा में बड़ी पार्टियों समेत कुल 16 प्रत्याशी मैदान में उतरे थे, लेकिन वोटर ने किसी को भी नहीं चुना. ठीक इसी तरह आंवला लोकसभा में कुल 14 प्रत्याशी मैदान में उतरे थे, लेकिन वोटर्स ने सभी को नकार दिया. इससे साफ पता चलता है कि टोटल वोटर्स में कुछ वोटर ऐसे हैं जो पार्टी और उनके द्वारा उतारे गए प्रत्याशियों पर भरोसा नहीं रखते हैं.

इतनों को नहीं कोई पसंद

बरेली लोकसभा में इस बार 3824 वोटर्स ने नोटा का बटन दबाया. सबसे ज्यादा वोट 5.65 लाख बीजेपी के प्रत्याशी संतोष गंगवार को और सबसे कम 501 वोट बहुजन सम्यक पार्टी के यतेन्द्र सिंह को मिले. वहीं आंवला लोकसभा में 9172 वोटर्स ने नोटा का बटन दबाया. सबसे ज्यादा वोट 5.36 लाख भाजपा के प्रत्याशी धमर्ेंद्र कश्यप और सबसे कम 912 वोट वंचितसमारज इस्लाम पार्टी के इरशाद अंसारी को मिले.

 

2014 में इतने लोगों ने नोटा किया यूज

साल 2014 के लोकसभा इलेक्शन में बरेली में 6737 वोटर्स ने नोटा का यूज किया था. जबकि 9 कैंडीडेट ऐसे थे जिन्हें नोटा से भी कम वोट मिले थे. बरेली से सबसे ज्यादा 5.18 लाख वोट बीजेपी प्रत्याशी संतोष कुमार गंगवार को मिले थे. सबसे कम 719 वोट निर्दलीय प्रत्याशी लईक अहमद को मिले थे. वहीं आंवला में 10496 लोगों ने नोटा का यूज किया था. इसमें 10 कैंडीडेट को नोटा से भी कम वोट मिले. इसमें सबसे ज्यादा 4 लाख वोट बीजेपी के धर्मेद कुमार और सबसे कम 855 वोट नैतिक पार्टी के जितेन्द्र सिंह को मिले थे.

 

यह होता है नोटा

इलेक्शन कमीशन ने ईवीएम में नोटा यानि नन ऑफ द एबव का ऑप्शन दे रखा है. अगर आपको चुनाव के दौरान कोई भी कैंडिडेट पसंद नहीं है तो वह नोटा का ऑप्शन चुन सकते हैं. ईवीएम में नोटा का बटन पिंक कलर का होता है. वहीं इलेक्शन कमीशन ने दिसंबर 2013 के विधानसभा चुनावों में ईवीएम में नोटा का ऑप्शन रखने के निर्देश दिए थे. ताकि वोटर्स के वोट जायर न जाए और उनको पता चल सके कितने लोगों को कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं है. यह विरोध दर्ज करने का एक तरीका है.

Posted By: Radhika Lala