200 साल पुराने संघर्ष की वजह से महाराष्ट्र में कर्फ्यू जैसे हालात, यहां आसानी से समझें पूरा मामला
महाराष्ट्र के हालातमहाराष्ट्र के कई शहरों में हालात कर्फ्यू जैसे हैं। ठाणें में प्रदर्शनकारियों ने लोकल सेवाएं रोक दी है। डिब्बावालों ने भी आज अपनी सेवा ना देने का ऐलान किया है जिसके चलते आज हजारों लोगों तक डिब्बे का खाना नहीं पहुंचेगा। इसके अलावा कई बसों को लोगों ने आग के हवाले कर दिया है। स्कूल कार्यालय बस बंद हो गए हैं। हिंसा वाले शहरों में 144 लागू करने के साथ ही मोबाइल टॉवर बंद कर दिए गए है। नेटवर्क जैमर लगाया जा चुका है। सीआरपीएफ के जवानों के अलावा एंटी रॉइट स्क्वॉड भी तैनात की गई है। महाराष्ट्र में यह हालात करीब 200 साल पहले हुए दो समुदायों के बीच युद्ध की बरसी पर हुए हैं।
स्थानीय लोगों की मानें तो इस हिंसा की आग नए साल की पूर्व संध्या को ही भड़कने लगी थी। 31 दिसंबर की शाम को दलितों के एक संगठन "शनिवारवाड़ा यलगार परिषद" ने पेशवाओं के ऐतिहासिक निवास शनिवारवाड़ा के बाहर कार्यक्रम आयोजित किया था। इसमें दलितों के नेता जिग्नेश मेवाणी ने पेशवाओं के खिलाफ बड़े भड़काऊ बयान दिए थे। महाराष्ट्र में पेशवाओं का शासन ब्राह्माण शासन व्यवस्था के रूप में देखा जाता है। लड़ने का आह्वान किया था
जिग्नेश मेवाणी ने भाजपा एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को नया पेशवा करार दिया था। इतना ही नहीं इन्होंने इनके विरुद्ध सभी पार्टियों को साथ आकर लड़ने का आह्वान किया। ऐसे में मराठा समुदाय में इस दलितों के नेताओं के इन भाषण से आक्रोश बढ़ गया था। इसके बाद ही नए साल को श्रद्धांजलि कार्यक्रम में हालात बिगड़ गए। भीमा परिसर में दलितों के कार्यक्रम के दौरान कुछ लोग भगवा झंडे लेकर पहुंचे गए थे।मुस्लिम संगठन के अलावा तीन तलाक बिल में ये भी बन सकते हैं रोड़ा, जानें बिल की खास बातें