कहानी शादी वाली ही है। लेकिन इस बार मामला 14 फेरों का है। लव स्टोरी है लेकिन परिवार की रज़ामंदी लेकर ही शादी करेंगे यह तय कर रखा है। एक परिवार बिहार का है और दूसरा राजस्थान का। ऐसे में दूल्हा और दुल्हन रचते हैं एक प्लान लेकिन क्या पूरे हो पाते हैं इनके 14 फेरे। दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे हम आपके हैं कौन मैंने प्यार किया वाले दौर का रिफलेक्शन भी थोड़ा बहुत नजर आएगा। पढ़ें पूरा रिव्यु

फिल्म : 14 फेरे
कलाकार : विक्रांत मेसी, कृति खरबंदा, विनीत कुमार, यामिनी दास, गौहर खान, जमील खान
निर्देशक : देव्यांशु सिंह
ओटीटी : ज़ी 5
रेटिंग : ढाई स्टार

क्या है कहानी
बिहार का रहने वाला है संजय (विक्रांत), राजस्थान की है अदिति (कृति खरबंदा) दोनों दिल्ली की एक कंपनी में काम करते हैं। कॉलेज के दिनों से प्रेम है। दोनों के ही परिवार वाले जाति से बाहर शादी करने को तैयार नहीं। ऐसे में संजय और अदिति दोनों ही परिवारों को चकमा देकर कैसे अपनी शादी की प्लानिंग करते हैं, यही कहानी है। कहानी दिलचस्प है। किरदार भी मजेदार हैं।

क्या है अच्छा
निर्देशक देव्यांशु ने बिहार की लोक संस्कृति को खूबसूरती से दर्शाया है। दउरा ( बांस की टोकरी) में दुल्हन को उतारना, परछावन के गीत, माँ का शादी में बारात में नहीं जाना, जैसी कई दिलचस्प परंपराओं को दिखाया है। वहीं सभी किरदारों ने खूब मजे लेकर पूरी फिल्म में ड्रामा किया है।

क्या है बुरा
कहानी कई दृश्यों में बिखरी लगी है। विषय जातिवाद का उठाया गया है तो उसपर थोड़ा और सटीक टेक लिया जाना चाहिए था। क्लाइमेक्स कमजोर है।

अदाकारी
इस वक़्त विक्रांत मेसी का करियर बिल्कुल मेस्सी नहीं, बल्कि परफेक्ट चल रहा है। वे जो भी किरदार निभा रहे हैं, सभी में वह खूब कमाल कर रहे हैं। कृति खरबंदा ने भी ठीक ठाक काम किया है। इस फिल्म की असली जान हैं विनीत कुमार, जमील खान और गौहर। उनके किरदार में वेरिएशन भी हैं। लेकिन उनके किरदार को और खूबसूरती से गढ़ा जा सकता था। यामिनी दास के हिस्से भी कुछ खास करने को नहीं आया।

वर्डिक्ट
फैमिली फिल्म के रूप में इसे देख सकते हैं।

Review by: अनु वर्मा

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari