Movie Review : बाप बेटे की नोंक-झोंक है 102 नॉट आउट, देखने से पहले पढ़ें ये रिव्यू
कहानी एक अपनी जिंदगी से परेशान बुजुर्ग और उसके मस्तमौला बाप के बीच के अनोखे जनरेशन गैप की कहानी है ये फिल्म। ये फिल्म एक प्ले का फिल्मी रूपांतरण है। समीक्षा
उमेश जी को थिएटर से बड़ा लगाव है। ओ माय गॉड भी एक प्ले पर बेस्ड थी और ये फिल्म भी एक प्ले पर बेस्ड है। प्ले से फिल्म जब भी बनाई जाती है तो खासी केअर की जाती है कि फिल्म ओवर ड्रामेटिक न हो जाये। इस फिल्म के साथ एक बड़ी समस्या ये है कि अपनी ऑलमोस्ट सिंगल लोकेशन शूट के कारण ये फिल्म एक प्ले की ही फील देती है, फिल्म नहीं लगती। फिल्म की स्टोरी और थीम काफी अच्छी है पर फिल्म के केरक्टेर ठीक से नहीं लिखे गए। सीमित किरदार है, जो सब सिंगल टोन हैं। ऋषि द्वारा निभाया गया किरदार बेहद ग्लूमी है और अमिताभ बेहद ही जिंदादिल। एक समय पे आते आते आप फिल्म से थोडा बोर से हो जाते हैं। फिल्म की एक और बड़ी समस्या है इसका वाहियात मेकअप, कई कई जगह पर खराब और उधड़ा हुआ मेकअप फिल्म के किरदारों को बड़ा फेक सा फील कराने लगता है। फिल्म की एडिटिंग और फिल्म की राइटिंग भी काफी ऑफ है।
कुलमिलाकर ये फिल्म राइटिंग और प्रोडक्शन में काफी वीक है। अगर फिल्म थोड़ी बेहतर लिखी गई होती, किरदारों में थोड़ी और डेप्थ होती तो बात ही कुछ और होती। फिर भी अपनी अनूठी थीम और अमिताभ, ऋषि की जोड़ी को फिर से सिनेमापटल पर देखना चाहते हैं तो देखने आइये ये फिल्म।