अरंधति रॉय का नाम आते ही सबसे पहले जेहन में उनके बयान आते हैं। जिन पर एक नहीं अनेक बार विवाद हो चुका है। परमाणु परीक्षण आतंकवाद से लेकर सामाजिक मुद्दों पर उनकी बेबाक राय से लोग वाकिफ हैं। देश में असहिष्णुता के मुद्दे पर जब उन्होंने अवार्ड वापस किया तो वह फिर से चर्चा में आ गईं। आइए एक नजर डालते हैं मशहूर लेखिका अरुधति रॉय की जिंदगी से जुड़े कुछ पहलुओं पर-
1. अरुंधति रॉय का जन्म शिलांग, मेघालय में 24 नवम्बर, 1959 को हुआ।3. पति से तलाक के बाद उनकी मां उन्हें व उनके भाई को लेकर केरल चली आईं। तब अरुंधति की उम्र दो वर्ष थी। उनका बचपन कोट्टायम व तमिलनाडु के ऊटी में गुजरा। ऊटी में वह अपने नाना के पास रहती थीं। 5. 1985 में मैसी साब में अरुंधति रॉय रघुबीर यादव के साथ मुख्य भूमिका में नजर आईं। यह दोनों की ही पहली फिल्म थी। निर्देशक प्रदीप कृश्न की भी यह पहली फिल्म थी। बाद में अरुंधति व प्रदीप कृश्न ने शादी कर ली।6. उनका उपन्यास द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स 1997 में प्रकाशित हुआ। जिसके लिए उन्हें बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
9. 1989 में फिल्म इन विच एनी गिव्स इट दोज वंस के स्क्रीनप्ले के लिए उन्हें नेशनल अवार्ड से नवाजा गया था। जिसे हाल ही में उन्होंने बढ़ती असहिष्णुता के विरोध में लौटाने का फैसला लिया है। नक्सलियों-माओवादियों के खिलाफ कार्रवाई को वह गरीबों के खिलाफ युद्ध की संज्ञा देती हैं।
10. 2014 में उन्हें टाइम मैग्जीन की दुनिया की 100 प्रभावशाली हस्तियों की सूची में जगह मिल चुकी है।
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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari