लाठी से नहीं पानी की बौछार से भीड़ को तितर-बितर करने का सुझाव देने वाले शास्त्री जी की 10 अनजान बातें
1- लाल बहादुर शास्त्री का जन्म वाराणसी में शारदा प्रसाद और रामदुलारी देवी के यहां हुआ था। उनके पिता इलाहाबाद के रेवेन्यू ऑफिस में काम करते थे। जब वो एक साल के थे तब प्लेग की बीमारी से उनके पिता की मौत हो गई थी। 2- भारत में उस दौरान वर्ण व्यवस्था बहुत हावी थी। 1917 में 12 साल की उम्र में उन्होंने अपना सर नेम श्रीवास्ताव हटा दिया और अपना नाम लाल बहादुर श्रीवास्तव की जगह लाल बहादुर शास्त्री कर लिया। 3- 15 अगस्त 1947 को उन्होंने ट्रांसपोर्ट और पुलिस का मंत्रालय संभाला। उनके कार्यकाल के दौरान ही पहली बार महिला कंडक्टर को नियुक्त किया गया था। उन्होंने ही सुझाव दिया था कि भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पानी के जेट का प्रयोग हो ना कि लाठी, डंडों का।
4- 1952 में वो रेल मंत्री बने और उन्होंने अपना मंत्री पद 1956 में छोड़ा दिया। ये फैसला उन्होंने तमिलनाडु में एक ट्रेन एक्सीडेंट होने के बाद लिया। उस दुर्घटना में 150 लोगों की मौत हो गई थी।
5- भारत में स्वेत क्रांति क्रांति करने का श्रेय लाल बहादुर शास्त्री को ही जाता है। उन्होंने दूध के उत्पादन और सप्लाई की जरूरत को समझा और प्रमोट किया। 1965 में नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड की स्थापना का श्रेय भी उन्हें ही जाता है। भारत में फूड प्रोडक्शन को बूस्ट करने के लिए उन्होंने हरित क्रांति को प्रमोट किया।
6- 1965 में जब भारत-पाकिस्तान का युद्ध हुआ तो उन्होंने एक मजबूत फैसला लेते हुए आर्मी को पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन लेने के का आदेश दिया। उनकी नेतृत्व में भारत ने पाकिस्तान को हराकर जीत हासिल की। इस युद्ध ने भारतीय सेना के 1962 के दौरान चीन से युद्ध के दौरान खोये हुए आत्मविश्वास को जगा दिया। 7- उनके प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान भारत को खाने की समस्या का सामना करना पड़ा। लोगों को एक टाइम का खाना मिल सके इसलिए उन्होंने लोगों से एक टाइम का खाना छोड़ने की अपील की। उनकी इस अपील की असर हुआ कि लोगों ने एक टाइम का खाना छोड़ दिया और उनकी इस मुहिम को शास्त्री व्रत के नाम से जाना गया।8- जब वो प्रधानमंत्री थे उस दौरान उनके परिवार ने उनसे कार खरीदने का आग्रह किया। उन्होंने जो फिएट कार खरीदी उस समय उसकी कीमत 12 हजार रुपये थी। उनके खाते में सिर्फ 7 हजार रुपये ही थे। उन्होंने 5 हजार रुपये के लिए पंजाब नेशनल बैंक में आवेदन किया। इसके बाद उन्होंने वो कार खरीदी। आज भी वो कार शास्त्री मेमोरियल दिल्ली में रखी हुई है।
9- ऑफिस में प्रयोग के लिए उनके पास शेवरले इंपाला कार थी। एक बार उनके बेटे ने वो कार चलाई जिसके बाद लाल बहादुर शास्त्री ने कहा कि कार जितनी भी पर्सनल यूज में चली हो उसका रुपया सरकारी खाते में जमा किया जाएगा और उन्होंने ऐसा ही किया। 10- 1966 में 11 जनवरी को उन्होंने तासकंद में आखिरी सांस ली। दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनकी मौत हुई थी। मौत के बाद उनकी बॉडी का पोस्टमार्टम नहीं किया गया था। आज तक ये बात रहस्य बनी हुई है। वो भारत रत्न से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय थे।National News inextlive from India News Desk