पिछले सात महीनों में दुनिया के हर सातवां बिजनेसमैन साइबर ठगी का शिकार हुआ है। यह खुलासा एक अमेरिकी साइबर सिक्योरिटी कंपनी बाराकुडा नेटवर्क ने किया है। अपनी रिपोर्ट में कंपनी ने बताया है कि साइबर क्रिमिनल ठगी के नये-नये पैंतरे अपना कर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं।


नई दिल्ली (आईएएनएस)। साइबर ठगी के 55 फीसदी से ज्यादा मामलों में लोग कामकाज से संबंधित हैक किए गए ई-मेल अकाउंट से शिकार हो रहे हैं। यह बात 'स्पिर फिशिंग : टाॅप थ्रेट्स एंड ट्रेंड्स वाॅल्यूम-2' नामक एक रिपोर्ट में कही गई है। इसमें बताया गया है कि हैकर आधिकारिक ई-मेल हैक करके उससे साइबर ठगी के ई-मेल भेजते हैं। ऐसे ई-मेल्स कंपनी के साझीदार, नजदीकी संस्थान या संबंधित व्यक्ति को भेजते हैं।लगातार बदल रहे पुराने पैंतरेबाराकुडा नेटवर्क्स में ई-मेल सिक्योरिटी के वाइस प्रेसिडेंट माइक फ्लूटोन ने बताया कि ई-मेल से साइबर ठगी के खतरे बढ़ते ही जा रहे हैं। साइबर क्रिमिनल्स लोगों को ठगने के लिए पुराने पैंतरे बदल कर नये-नये रास्ते तलाश रहे हैं। इनसे बचने के लिए साइबर ठगों द्वारा अपनाए जा रहे तरीकों और ठगी के झांसों को समझना बहुत जरूरी है ताकि इनके खतरों से बिजनेस को बचाया जा सके।


अकाउंट में दिक्कत का मैसेज

लोगों को फंसाने के लिए साइबर ठग आधिकारिक ई-मेल अकाउंट से झांसा देने वाले मेल भेजते हैं। ऐसे मेल को सिस्टम में पहले से मौजूद ई-मेल प्रोटेक्शन पकड़ नहीं पाता है। हाल ही में 100 संस्थानों में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि ठगी के ऐसे ई-मेल सप्ताह में काम के दिनों में वर्किंग ऑवर में भेजे जा रहे हैं। इस प्रकार के ई-मेल में यूजर्स को ई-मेल अकाउंट में प्राॅब्लम संबंधी फाल्स अलर्ट भेजा जाता है। इस मैसेज के साथ एक लिंक दिया जाता है। अध्ययन में पता चला कि 63 फीसदी ठगी के मामले साधारण कामकाज से संबंधी थी, 37 प्रतिशत मामले या तो काम धंधे से संबंधित या ठगी के शिकार हुए लोगों के संस्थान से संबंधित ई-मेल थे।बचाव के तरीके- ई-मेल अकाउंट में किसी समस्या संबंधी मेल के बारे में कंपनी के आईटी विभाग या संबंधित विभाग से संपर्क करें।- मैसेज में दिए गए किसी भी लिंक को ध्यान से पढ़ें और अन्य सहकर्मियों से पूछताछ के बाद ही क्लिक करें।- प्रत्येक ई-मेल को ध्यान से पढ़ें, जरा भी शक हो तो संबंधित विभाग से उसकी जानकारी जरूर करें।- ई-मेल के पासवर्ड समय-समय पर बदलते रहें।- हड़बड़ी में ई-मेल न पढ़ें और न ही उस पर प्रतिक्रिया करें।

Posted By: Satyendra Kumar Singh