1: What is a leap year (क्या है लीप ईयर): दुनिया भर में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले Gregorian calendar के मुताबिक हर 4 साल में 1 अतिरिक्त दिन जोड़ा जाता है। यह दिन फरवरी में जुड़ता है, जिससे ये महीना 28 दिन की बजाय 29 दिन का हो जाता है। इस जोड़े गए अतिरिक्त दिन को Leap Day और इस साल को Leap Year कहा जाता है। उदाहरण के लिए साल 2020 भी एक लीप ईयर है, यानि इसकी फरवरी Leap Day 2020 के साथ 29 दिनों की है। आसान शब्दों में जानें तो जिस साल को 4 से भाग देने पर शेष जीरो आता हो, वो लीप ईयर होगा, लेकिन सिर्फ वही शताब्दी वर्ष लीप ईयर होगा, जो 400 के अंक से पूरी तरह विभाजित हो जाए। इस हिसाब से साल 2000 लीप ईयर था, लेकिन 1900 लीप ईयर नहीं था।
2: How many Days in Leap year (लीप ईयर में कितने दिन होते हैं): जो साल लीप ईयर कहलाता है, उसमें सबसे पहले एक लीप डे जुड़ा होता है। यह दिन फरवरी महीने में जुड़ता है, जिससे यह महीना 29 दिन का हो जाता है। यानि पूरा साल के दिनो में एक दिन एक्स्ट्रा हो जाता है, जिससे लीप ईयर में 365+1 यानि 366 दिन होते हैं।
3: When Is the Next Leap Year (अगला लीप ईयर कब होगा): साल 2000 और फिर उसके बाद से 21वीं सदी में हर चौथा साल लीप ईयर रहा है। साल 2020 लीप ईयर है यानि अगला लीप ईयर 2024 होगा, उसके बाद 2028।
4: Why do we need Leap years (हमारे लिए क्यों जरूरी है लीप ईयर): आसान शब्दों में समझें तो कह सकते हैं कि हमारे कैलेंडर और धरती की भौगोलिक ऋतुएं एक दूसरे के साथ तालमेल में बनी रहें, इसके लिए ही कैलेंडर में लीप ईयर जरूरी है। लीप ईयर न होने पर कुछ सदियों के अंतराल में मौसम और कैलेंडर के महीने आगे पीछे हो जाएंगे। हो सकता है कि जून महीने में पूरी दुनिया में भीषण सर्दी पड़ रही हो।
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5: How long is a leap year (लीप ईयर कितना लंबा होता है): लीप ईयर 366 दिन का होने के कारण किसी सामान्य वर्ष की तुलना में 1 दिन यानि 24 घंटे लंबा होता है। हम सभी यह जानते और मानते हैं कि धरती सूर्य का पूरा चक्कर 365 दिन में लगती है, लेकिन सच यह है कि धरती का खगोलीय वर्ष 365.25 दिन का होता है। यानि धरती 365 दिन और 6 घंटे में सूरज का एक चक्कर पूरा करती है। ऐसे में कैलेंडर सिस्टम का बैलेंस न बिगड़े और गर्मी-सर्दी के महीने आगे पीछे न हो जाएं, इसके लिए चौथे साल में एक एक्स्ट्रा दिन जोड़ा जाता है, ताकि कैलेंडर वर्ष और खगोलीय वर्ष समान रूप से चलें।
6: When did leap year start (लीप ईयर की कब से हुई शुरुआत): पहली बार 46 ईसा पूर्व में जूलियन कैलेंडर सिस्टम के अंतर्गत चार साल में एक लीप डे का सिद्धांत लागू किया गया। उस तरीके से हर चौथे साल में लीप डे जोड़ने पर कई शताब्दियों के दौरान कैलेंडर में विसंगति पैदा होने लगी। जिसे साल 1582 में ग्रेगोरियन कैलेंडर ने ठीक कर दिया। ब्रिटानिका के मुताबिक नए सिस्टम के तहत हर शताब्दी वर्ष जैसे 2000, 2100, 2200, 2300, 2400 में से सिर्फ वही साल लीप ईयर होगा, जो 400 से पूरी तरह विभाजित हो जाए।
7: How often do we have a leap year (कैलैंडर में कब-कब आता है लीप ईयर): 21वीं सदी में 2004 से लेकर हर चौथा साल जैसे 2008, 2012, 2016, 2020 तक सभी लीप ईयर हैं। इसके बाद 2024, 2028, 2032, 2036, 2040, 2044 और आगे यही सिलसिला चलता रहेगा। एक और बात बता दें कि अगला शताब्दी वर्ष यानि 2200 लीप ईयर नहीं होगा, क्योंकि यह साल (2200/400=5.5) 400 से पूरी तरह विभाजित नहीं होता है।
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8: When was the first leap year (कब हुआ था पहला लीप ईयर): historic-uk.com के मुताबिक आधुनिक काल में पहला लीप ईयर 1752 में हुआ था, जब ब्रिटेन और उसके उपनिवेशों द्वारा जूलियन केलेंडर को त्यागकर ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाया गया। अपने कैलेंडर सिस्टम को बदलने के लिए उस साल सितंबर महीने में 11 दिन कम कर दिए गए थे, जिन्हें lost&य 11 days of September के नाम से जाना जाता है। वैसे लीप ईयर पहली बार 46 ईसा पूर्व में जूलियन कैलेंडर सिस्टम के अंतर्गत लागू हुआ माना जाता है। हालांकि दुनिया भर में लागू कई अन्य कैलेंडर जैसे इस्लामिक और इजिप्शियन कैलेंडर में भी लीप डे होता है।
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