वाशिंगटन (पीटीआई)। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA को चांद पर भारत के मून मिशन चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का कोई भी सबूत नहीं मिला है। नासा ने बताया कि उसका लूनर रिनेसॉ ऑर्बिटर (LRO) हाल ही में उसी इलाके के ऊपर से गुजरा, जहां पर लैंडर विक्रम के गिरने का अनुमान लगाया गया था। उसने कहा कि इस दौरान ऑर्बिटर ने जो तस्वीरें खींची, उनमें इसरो के लैंडर विक्रम के कोई सबूत नहीं दिखाई दे रहे हैं। बता दें कि 7 सितंबर को, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने लैंडर के साथ संपर्क खोने से पहले चंद्र के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया था।
उस इलाके में हमेशा रहता है शैडो
LRO मिशन के प्रोजेक्ट साइंटिस्ट नोआ एडवर्ड पेट्रो ने पीटीआई को बताया, 'हमारा लूनर रिनेसॉ ऑर्बिटर 14 अक्टूबर को उसी इलाके के ऊपर से गुजरा, जहां पर लैंडर विक्रम के गिरने का अनुमान लगाया गया था, इस दौरान उसने कई तस्वीरें लीं लेकिन हमें उनमें लैंडर के कोई भी सबूत नहीं मिले। पेट्रो ने कहा कि कैमरा टीम ने चांद के सतह की ली गई तस्वीरों की सावधानीपूर्वक जांच की और परिवर्तन का पता लगाने वाली तकनीक का इस्तेमाल किया लेकिन फिर भी हमें तस्वीरों में लैंडर विक्रम का कोई प्रमाण नहीं मिले हैं। इसके अलावा LRO मिशन के डिप्टी प्रोजेक्ट साइंटिस्ट जॉन केलर ने कहा, 'यह संभव है कि विक्रम छाया में या खोज क्षेत्र के बाहर स्थित हो। लो लैटीट्यूड के कारण यह क्षेत्र पूरी तरह से कभी भी छाया से मुक्त नहीं होता है।'
कहां और किस हाल में है विक्रम लैंडर? अब नासा देगा इसका जवाब
17 सितंबर को भी चांद के ऊपर से गुजरा था एलआरओ
बता दें की इससे पहले नासा का एलआरओ 17 सितंबर को विक्रम के लैंडिंग स्थल के ऊपर पर से गुजरा था और उसने उस इलाके की कुछ अच्छी तस्वीरें भी निकाली थीं। हालांकि, तब भी वह एलआरओ के कैमरे से उस जगह पर विक्रम लैंडर की तस्वीर निकालने में नाकाम रहा। नासा ने तब कहा, 'जब लैंडिंग क्षेत्र से हमारा ऑर्बिटर गुजरा तो वहां काफी अंधेरा था, इसलिए ज्यादातर भाग छाया में छिप गया। ऐसी उम्मीद है कि विक्रम लैंडर छाया में ही छिपा हुआ है। जब एलआरओ अक्टूबर में फिर से वहां से गुजरेगा, तो वहां रौशनी होगी और एक बार फिर लैंडर की तस्वीर या उसके बारे में पता लगाने की कोशिश की जाएगी।'
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