पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने भूमि अधिग्रहण कानून में किए गए संशोधन पर केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर हमला बोला है. बुधवार को जंतर-मंतर पर कांग्रेस पार्टी की ओर से आयोजित धरने को संबोधित करते हुए रमेश ने कहा कि जिस भूमि अधिग्र्रहण कानून-2013 को तैयार करने में दो साल लग गए, उसे नरेंद्र मोदी की सरकार ने महज दो घंटे में बदल दिया. उन्होंने कहा कि आश्चर्य की बात यह है कि इस कानून को बनाने वाले 65 सांसदों में भाजपा की सुषमा स्वराज और अरुण जेटली भी शामिल थे. जयराम रमेश के अलावा धरने को कांग्रेस नेता अहमद पटेल, दिग्विजय सिंह, अजय माकन, ज्योतिरादित्य सिंधिया, दीपेंद्र हुड्डा, अश्विनी कुमार व पीएल पुनिया ने भी संबोधित किया.
बब्बर के बबाली बोल
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि किसान हमारे अन्नदाता हैं. अन्नदाता सिर्फ अपने परिवार और गांव का ही नहीं पूरे देश के लोगों का पेट भरता है. अच्छे दिन लाने का वादा करने वाली राजग की सरकार में देश के सिर्फ बीस फीसद लोगों के लिए ही अच्छे दिन आए हैं. वहीं इस मौके पर जोश में आए एक्टर टर्न लीडर राज बब्बर ने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही लपेट में ले लिया और उन्हें तू कह कर अड्रैस करते हुए बोले कि मैं पूछना चाहता हूं नरेंद्र दामोदर दास मोदी से कि तू क्या जानता है. तू सिर्फ कॉरपोरेटरों से अपने सूट की बोली 4.5 करोड़ में लगवाना जानता है. यहां वे किसान बैठे हैं, जिनके बेटे सीमाओं पर तैनात हैं. मोदी तुझे क्या पता है? उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने किसानों के हित में भूमि अधिग्रहण विधेयक तैयार किया था, लेकिन भाजपा की अगुआई वाली केंद्र सरकार ने इसे बदलकर जमीन हड़पो अध्यादेश बना दिया है.
कांग्रेस नेताओं ने हैरानी जतायी कि जब 2013 में भाजपा की सहमति से इस कानून को लाया गया था तो अब उन्होंने इसे कैसे बदल डाला. पहले बिल के जिस प्रारूप को रेडी करने का क्रेडिट भाजपा के राजनाथ सिंह और सुषमा स्वाराज जेसे नेता खुद लेना चाहते थे अब उसको चेंज करने के बारे में सोचने का कया मतलब है. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार उद्योगपतियों के प्रेशर में काम कर रही है. भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर मोदी सरकार चारों तरफ से घिरती दिख रही है. विपक्ष के साथ ही सोशल एक्टिविस्ट अन्ना हजारे और एनडीए की साथी और अकाली दल भी इस बिल का विरोध कर रहे हैं.
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