60 लाख का जुर्माना लगाया गया
रांची(ब्यूरो)। चारा घोटाले से जुड़े दुमका ट्रेजरी केस में सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने लालू यादव को 14 साल की सजा सुनाई। उन पर 60 लाख का जुर्माना भी लगाया। सीबीआई के वकील ने शनिवार को आए इस फैसले के बारे में बताया कि कोर्ट ने लालू को आईपीसी और करप्शन एक्ट के तहत 7-7 की सजा सुनाई है, जो अलग-अलग चलेंगी। लालू की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी हुई, क्योंकि वे अस्पताल में भर्ती हैं। इससे पहले जज शिवपाल सिंह ने इस ट्रेजरी केस में 19 मार्च को लालू को दोषी माना था
21 साल पुराना मामला है चारा घोटाला
गौरतलब है कि हाल ही में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद को चारा घोटाले के दूसरे मामलों में सजा सुनाई जा चुकी है। देवघर कोषागार एवं चाईबासा कोषागार मामलों में दोषी लालू यादव रांची की बिरसा मुंडा जेल में बंद सजा काटे रहे हैं। चारा घोटाला मामला 1996 में चर्चा में आया था। इसमें बिहार के जानवरों के लिए चारा, दवाएं और पशुपालन से जुड़े उपकरणों को लेकर घोटाले को बड़े स्तर पर अंजाम दिया गया था। ऐसे में यह मामला करीब 21 साल से कोर्ट में चल रहा है।
देवघर कोषागार में इसी साल हुआ फैसला
चारा घोटाले के देवघर मामले में 23 दिसंबर, 2017 को लालू को दोषी करार दिए गए थे। इस मामले में लालू को 6 जनवरी को 89 लाख, 27 हजार रुपये की अवैध निकासी के मामले में साढ़े तीन साल की सजा सुनाई गई। इतना ही नहीं 5 लाख का जुर्माना लगाया गया। इस मामले में उनके साथ फूलचंद सिंह, महेश प्रसाद, बेक जूलियस, सुनील कुमार, सुशील कुमार, सुधीर कुमार और राजाराम को साढ़े तीन साल की सजा सुनाई गई। इन लोगों पर भी पांच लाख का जुर्माना लगाया गया।
चाईबासा मामले में 24 जनवरी को हुई सजा
वहीं चाईबासा मामले में 10 जनवरी को बहस पूरी होने के बाद सीबीआई के विशेष न्यायाधीश स्वर्ण शंकर प्रसाद की अदालत ने 24 जनवरी को इस मामले में अपना फैसला सुनाया था। कोर्ट ने 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले मामले में चाईबासा कोषागार से चाईबासा कोषागार से 33 करोड़, 67 लाख 534 रुपये की अवैध निकासी में लालू प्रसाद यादव को पांच साल की सजा और दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। चारा घोटाला कांड में संख्या आरसी 68ए/96 के तहत प्राथमिकी दर्ज है।
2001 से चल रहा चाईबासा कोषागार मामला
चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के एक मामले में लालू तथा जगन्नाथ मिश्रा को 30 सितंबर, 2013 को दोषी ठहराया गया था। इसके बाद तीन अक्तूबर को क्रमश: पांच वर्ष कैद, 25 लाख रुपये जुर्माने तथा चार वर्ष कैद की सजा सुनाई गई थी। इस मामले में 12 दिसंबर 2001 को 76 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गयी थी। ट्रायल के दौरान 14 आरोपियों का निधन हो चुका है। वहीं तीन सरकारी गवाह बन गए। दो आरोपियों ने दोष स्वीकार कर लिया।
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