यह विमान मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर से चीन की राजधानी बीजिंग जा रहा था, लेकिन उड़ान भरने के कुछ घंटे बाद से ही यह लापता है.
मलेशियाई विमान के लापता होने के चार दिन गुज़र जाने के बाद भी एयरलाइंस के अधिकारियों की ओर से न ही चंद्रिका के पति केएस नरेंद्रन को और न ही जिस एनजीओ में काम करती हैं, उसे कोई ख़बर दी गई.
चंद्रिका इंटरनेशनल कलेक्टिव इन सपोर्ट ऑफ फ़िशरफोल्क (आईसीएसएफ़) नामक एनजीओ में काम करती हैं.
51 साल की चंद्रिका हरियाणा की हैं और शादी के बाद पिछले 20 सालों से चेन्नई में रह रही हैं. चंद्रिका के पति चेन्नई के मूल निवासी हैं. चंद्रिका के परिजन और सहयोगी उनके सही सलामत वापस आने की दुआ कर रहे हैं.
मिलनसार स्वभाव
वे अंतरराष्ट्रीय स्तर के ग़ैरसरकारी संगठन 'आईसीएसएफ़' के लिए 10 सालों से काम कर रही हैं.
उनके सहयोगी बताते हैं कि वे काफ़ी मिलनसार स्वभाव की हैं.
चंद्रिका के साथ काम करने वाले एन वेणुगोपाल का कहना है, "नरेंद्रन और परिवार के दूसरे सदस्य सदमे में हैं. वे फिलहाल किसी से बात करने की मनःस्थिति में नहीं."
विमान में चालक दल के 12 सदस्यों समेत कुल 239 लोग सवार थे. इनमें से चंद्रिका सहित चार और भारतीय यात्री शामिल हैं.
अभी तक इस विमान के बारे में कोई ख़बर नहीं मिली है. व्यापक तलाशी अभियान अभी भी जारी है.
चार दिन पहले उड़ान भरने के कुछ घंटों बाद ही विमान से एयरक्रॉफ्ट कंट्रोल टावर का संपर्क टूट गया था.
मछुआरों पर शोधपत्र
वेणुगोपाल बताते हैं, "आईसीएसएफ़ की कार्यकारी सचिव चंद्रिका शर्मा की अगुआई में संगठन सफलता के नए शिखर छू रहा है. उन्हें मंगोलिया में 'फ़ूड ऐंड एग्रीकल्चर आर्गनाइज़ेशन' (एफ़एओ) की ओर से आयोजित सम्मेलन में हिस्सा लेना था."
आईसीएसएफ़ के सलाहकार सेबास्टियन मैथ्यू ने बताया, "चंद्रिका मंगोलिया में सम्मेलन में शोधपत्र प्रस्तुत करने वाली थीं. यह शोधपत्र मछुआरों की आजीविका और अच्छे मत्स्य पालन से जुड़े दिशा-निर्देशों के बारे में था."
मैथ्यू का कहना है कि इस यात्रा के पीछे उनका मक़सद छोटे मछुआरों की समस्याओं पर एफ़एओ का ध्यान खींचना था. वे चंद्रिका को एक समर्पित कर्मचारी और एक बेमिसाल माँ मानते हैं.
चंद्रिका की 18 साल की बेटी मेघना दिल्ली के एक कॉलेज में अंग्रेज़ी साहित्य पढ़ रही हैं.
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