लाखों लोग मोटापे के कारण नहीं कर सकते कोई काम
डिपार्टमेंट फॉर वर्क ऐंड पेंशन्स के लिए मोटापे से जुड़ी एक रिपोर्ट बनाने वाले प्रोफेसर डेम केरोल लैक ने बताया कि ब्रिटेन में गंभीर मोटापे के शिकार लोगों की असली तादाद लगभग 9 लाख है। केरोल ने बताया कि मोटापा किस तरह इंसान के काम करने की काबिलियत को प्रभावित करता है। उन्होंने बताया कि सरकारी आंकड़े सही नहीं हैं क्योंकि राहत और सरकारी मदद मांगने वाले लोगों को जिस तरह फॉर्म भरना होता है, उसके कारण सही आंकड़े सामने नहीं आ पा रहे हैं।
आंकडों में गड़बड़ी की आशंका, ऐसे लोगों की संख्या हो सकती है और भी ज्यादा
केरोल ने बताया कि मौजूदा व्यवस्था में मोटापे के कारण काम नहीं कर पाने वाले लोगों को फॉर्म में केवल एक ही मुख्य बीमारी का जिक्र करना होता है। उन्होने बताया कि इस व्यवस्था के कारण कई बार देखा गया है कि लोग मोटापे से जुड़ी अन्य परेशानियां जैसे डाइबिटिज, दिल की बीमारी का जिक्र कर देते हैं। जिसके कारण उन्हें मोटापे के कारण काम करने में असक्षम लोगों की श्रेणी में नहीं रखा जाता है।
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केरोल का कहना है कि मोटापे से जुड़ी बीमारियों के कारण सरकारी सहायता पाने वाले लोगों के लिए डॉक्टरी इलाज कराना अनिवार्य कर देना चाहिए। इससे ज्यादा से ज्यादा प्रभावित लोग ठीक होकर वापस काम कर सकेंगे। साथ ही, कंपनियों और दफ्तरों को चाहिए जिन लोगों का वजन ज्यादा है उन्हें स्लिमिंग सेंटर पर भी भेजा करे। केरोल ने बताया कि जो लोग गंभीर मोटापे की स्थिति में सर्जरी के अलावा और रास्तों का इस्तेमाल करते हैं, उनका वजन कम ही घटता है।
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