टोकियो (रॉयटर्स)। जापान में काम करने वाली जगहों पर ड्रेस कोड और ऊंची हील वाली सैंडल पहनने की अनिवार्यता बन चुके चलन के खिलाफ सोशल मीडिया पर एक कैंपेन शुरू हुआ है। इसका कैंपेन का नाम '#KuToo movement' दिया गया है, जो काफी हद तक #मीटू से प्रेरित है। सोशल मीडिया पर यह मूवमेंट काफी तेजी से वायरल हो रहा है और इससे अब तक हजारों महिलाएं जुड़ चुकी हैं। लगभग 20,000 महिलाओं ने एक ऑनलाइन पेटिशन पर अपने हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें सरकार से उन कंपनियों को बैन करने का अनुरोध किया गया है, जहां महिलाओं को जॉब करने के लिए ऊंची हील वाली सैंडल पहनने की अनिवार्यता है।
जूता और दर्द से बना यह शब्द
#KuToo अभियान की शुरुआत अभिनेत्री और फ्रीलांस लेखक युमी इशिकावा ने की है, उन्होंने सोमवार को श्रम मंत्रालय में इसको लेकर एक याचिका पेश की है। यह #KuToo अभियान, जापानी शब्द ‘कुत्सु’ और ‘कुत्सू’ से बना है, जिसका अर्थ जूता और दर्द है। इस अभियान से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि जापान के लगभग हर दफ्तरों में काम करने की चाह रखने वाली महिलाओं को हाई हील पहनना अघोषित तौर पर एक अनिवार्य शर्त बन गया है। नौकरी पर रखने वाले कई लोग तो ऊंची सैंडिल को एक ड्रेस कोड की तरह देखते हैं। आठ से दस घंटे तक सैंडल पहनने के चलते पैरों में समस्या होने लगती हैं। ठीक से चलने और घूमने में भी दिक्कतें होती है।
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पहले टाई पहनने का था चलन
बता दें कि पहले जापान के दफ्तरों में लोगों को नेकटाई पहनने की अनिवार्यता थी लेकिन यह बदल गया क्योंकि सरकार ने 2005 में एक 'कूल बिज' अभियान की शुरूआत की थी ताकि कंपनियों को एयर-कंडीशनर बंद करने और बिजली के उपयोग को कम करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। अब, कई व्यवसायी और सरकारी अधिकारी काम के दौरान टाई नहीं पहनते हैं। #KuToo अभियान को लेकर पेश की गई एक याचिका पर श्रम मंत्रालय ने कहा है कि वह इस याचिका की समीक्षा कर रहा है और फिलहाल इसके बारे में कुछ नहीं कह सकता।
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