बजट घाटा
अगर वित्तमंत्री बजट घाटा शब्द का इस्तेमाल करें तो आप समझ लीजिए कि यह प्राप्त राजस्व से अधिक खर्च होने की स्थिति में प्रयोग हो रहा है।
बैलेंस बजट
आम बजट के भाषण में बैलेंस बजट का इस्तेमाल केंद्रीय बजट के लिए होता है। यह शब्द तब बोला जाता है जब वर्तमान प्राप्तियां मौजूदा खर्चों के बराबर होती हैं।
बैलेंस ऑफ पेमेंट
वित्तमंत्री द्वारा बैलेंस ऑफ पेमेंट शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। इसका मतलब भुगतान संतुलन होता है। यह किसी भी देश और दुनिया के बीच होने वाले वित्तीय लेनदेन के हिसाब के लिए होता है।
कॉरपोरेट टैक्स
कॉरपोरेट टैक्स शब्द का इस्तेमाल मुख्य रूप से संस्थानों या फर्मों पर लगाए जाने वाले टैक्स के लिए होता है। इस टैक्स से सीधे सरकार को आमदनी होती है।
चालू खाता घाटा
चालू खाता घाटा शब्द भी बजट भीषण में प्रयोग होता है। चालू खाता घाटा राष्ट्रीय आयात और निर्यात के बीच के अंतर को दर्शाता है।
आयकर
आयकर शब्द आमदनी पर लगने वाले कर के लिए होता है। यह आय के स्रोत जैसे कि आमदनी, निवेश और उस पर मिलने वाले ब्याज पर लगाया जाता है।
विनिवेश
विनिवेश शब्द भी बजट में काफी खास होता है। यह सरकार द्वारा किसी सार्वजनिक संस्थान में अपनी हिस्सेदारी बेचकर राजस्व जुटाने की प्रक्रिया को कहा जाता है।
राजकोषीय घाटा
राजकोषीय घाटा सरकार के कुल खर्च और राजस्व प्राप्तियों एवं गैर ऋण पूंजी प्राप्तियों का योग और उनके बीच के अंतर को दर्शाता है।
जीडीपी
जीडीपी शब्द का प्रयोग भी कई बार होता है। जीडीपी एक वित्तीय वर्ष में देश की सीमा के भीतर उत्पादित कुल वस्तुओं एवं सेवाओं का कुल योग होता है।
बांड
बांड शब्द कर्ज का एक प्रमाणपत्र होता है। यह किसी सरकार या कॉरपोरेशन द्वारा पैसा जुटाने के लिए जारी किया जा सकता है। इस पर ब्याज मिलता है।
सेनवैट
केंद्रीय वैल्यू एडेड टैक्स के लिए सेनवैट शब्द का इस्तेमाल होता है। यह मुख्य रूप से मैन्युफैक्चरर पर लगाया जाता है।
फाइनेंस बिल
फाइनेंस बिल का मतलब सरकार द्वारा प्रस्तावित नए टैक्स का विवरण होता है। हालांकि इसमें मौजूदा टैक्स में कुछ संशोधन भी शामिल होते हैं।
डॉयरेक्ट टैक्स
डॉयरेक्ट टैक्स यानी कि सीधे लगने वाला कर। यह व्यक्ति और संस्थानों की आय और उसके स्रोत पर इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स, कैपिटल गेन टैक्स और इनहेरिटेंस टैक्स के जरिए लगता है।
इनडायरेक्ट टैक्स
इनडायरेक्ट टैक्स यानी कि सीधे न लगने वाला कर। यह उत्पादित वस्तुओं एवं आयातित-निर्यातित सामानों पर उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क और सेवा शुल्क के जरिए लगता है।
उत्पाद शुल्क
एक्साइज ड्यूटी यानी कि उत्पाद शुल्क। यह शुल्क एक देश की सीमा के भीतर बनने वाले सभी उत्पादों पर लगने वाला टैक्स होता है।
सीमा शुल्क
कस्टम ड्यूटी यानी कि सीमा शुल्क। यह कर उन वस्तुओं पर लगाया जाता है, जो देश में आयातित या फिर देश के बाहर निर्यात की जाती है।
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