पहला ग्रांपी
विश्व टेनिस में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले विजय अमृतराज पहले खिलाड़ी थे। विजय ने अपना पहला ग्रांप्री 1970 में खेला था। 1973 में वह विंबलडन और यू.एस. ओपन के क्वॉर्टर फाइनल तक पहुंचे, जहां उन्हें यान कोडेस और केन रोजवैल जैसे दिग्गज के हाथें मात मिली। 1976 के विंबलडन में विजय और आनंद सेमीफाइनल तक पहुंचे थे।
जीत का जादू
विजय ने अपने करियर में काफी उपलब्धियां हासिल कीं। उन्होने कुल 16 सिंगलस और 13 डबल्स खिताब जीते। उन्हें डेविस कप टूर्नामेंट का हीरो कहा जाता था। क्योंकि उन्होंने डेविस कप में कई विश्व प्रसिद्ध दिग्गज खिलाड़ियों को मात दी थी।
करियर का शिखर
1980 में विजय अपने करियर के शिखर पर पहुंचे जब उन्होंने टेनिस खिलाड़ियों की रैंकिंग में अपनी सर्वश्रेष्ठ रेंकिंग हासिल की और सूची में 16 वें नंबर पर पहुंचे।
दिग्गजों से मुकाबला
अपने करियर के कामयाब दौर में विजय ने ब्योर्न बोर्ग, जिमी कॉनर्स, इवांस लेंडल और जान मैकेनरो जैसे टेनिस के महारथी खिलाड़ियों पर जीत हासिल की। जब इन खिलाड़यों के कारनामों से टेनिस के इतिहास के पन्ने भरे पडे़ थे और ग्रैंड स्लैम इवेंट्स में इन्हीं का बोलबाला चला करता था।
दूसरे कोर्ट में
विजय अमृतराज ने सिर्फ टेनिस कोर्ट में ही अपने जलवे नहीं दिखाये बल्कि एक्टिंग और कमेंटरी की फील्ड में भी उनकी प्रतिभा बेजोड़ रही। उन्होंने जेम्स बांड फिल्म ऑक्टोपसी और स्टार र्टैक फोर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई हीं वे कामयाब स्पोटर्स कंमेंटेटर भी रहे।
बीमार बच्चे से शांति दूत बनना
जब विजय दस साल के थे बहुत तो बीमार रहा करते थे। बस दस मीटर भर दौड़ने से थक कर चूर हो जाने वाले इस बच्चे का ख्वाब था डॉक्टर बनना और गरीबों की सेवा करना। तब विजय को लगता था कि वह बस यही काम कर सकते थे। पर आज वह भारत के गौरव हैं और दुनिया में शांति कायम करने के उद्देश्य से उन्हें संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपना शांतिदूत बनाया है।
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