न्यूयॉर्क के लिए रवाना हुआ टाइटेनिक 15 अप्रैल 1912 को अटलांटिक महासागर में डूब गया था।
टाइटेनिक के डूबने की वजह आइसबर्ग को बताया जाता है, लेकिन हाल ही में इस पर कई बड़े रिसर्च हुए हैं।
ऐसे में रिसर्च टीम में शामिल सेनन मोलोने ने जहाज के मुख्य इलेक्ट्रिकल इंजिनियर्स द्वारा ली गई तस्वीरों का अध्ययन किया।
जिसमें उन्होंने खुलासा किया है कि टाइटेनिक आइसबर्ग से टकराने के कारण नहीं, बल्कि बॉयलर कक्षा में आग के कारण डूबा था।
शोधकर्ताओं का कहना है कि जहाज टकराया तो था लेकिन आइसबर्ग के कारण वो डूबता नहीं अगर उसमें आग न लगी होती।
यह आग तीन हफ्तों तक लगी रही और किसी ने भी इसपर ध्यान नहीं दिया। इसी आग के कारण जहाज क्षतिग्रस्त हो गया था।
इसके बाद जब सफर के दौरान आइसबर्ग के साथ इसकी टक्कर हुई, तो कमजोर होने के कारण वह डूब गया।
सलोने मालोने का कहना है कि इन तस्वीरों में पतवार के दाहिनी ओर 30 फुट लंबे काले निशान साफ दिखाई दिए हैं।
सबसे खास बात तो यह है कि ये निशान जहाज की लाइनिंग के उस हिस्से के ठीक पीछे है, जहां आइसबर्ग टकराया था।
इसकी पतवार काफी कमजोर हो गई थी। इससे आइसबर्ग के साथ टकराने पर जहाज की लाइनिंग टूट गई।
रिसर्च टीम का मानना है कि यह शायद आग जहाज के बॉयलर रूम के पीछे बने तीन-मंजिला ईंधन स्टोर में लगी होगी।
इसके कारण जहाज का तापमान करीब 1800 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तक पंहुच गया था।
काफी लोगों ने इस आग को काफी बुझाने की भी कोशिश की, लेकिन आग उनके काबू से बाहर थी।
इस हादसे में 1500 से ज्यादा लोगों की जान गई थी। उस समय इसके डूबने का कारण प्राकृतिक हादसा बताया गया था।
image source..www.usatoday.com
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