1. एक्स-मेन फस्र्ट क्लास हमें बाकी सीरीज की हिस्ट्री में ले जाती है. इसमें एक्सप्लेन किया गया है कि वल्र्ड वॉर कैसे खत्म हुआ, हालांकि ये फिक्शन है मगर इस बात का कतई अहसास नहीं होता. इसमें दिखाया जाता है कि म्यूटेंट्स प्रोफेसर एक्स और मैग्नेटो की ग्रोथ कैसे हुई मगर इसमें फोकस किया गया है चाल्र्स जेवियर और एरिक की दोस्ती और उनके प्रोफेसर एक्स और मैग्नेटो बनने की जर्नी पर. प्लॉट को इतने स्मार्ट तरीके से लिखा गया है कि शायद ही कोई कमी निकाली जा सके.
2. फिल्म सही स्पीड में, टेक्निकली स्मार्ट, साइकोलॉजिकल गहराई पर मजबूत होने के साथ जबरदस्त एक्शन से भरपूर है. मूवी का फ्लो एक दम सही और अपने सब्जेक्ट से जरा भी डायवर्ट नहीं होती. स्क्रीनप्ले जबरदस्त है आपको शायद ही इसमें लूपहोल मिले. एक सुपर-हीरो फ्रैंचाइजी से इससे ज्यादा और क्या उम्मीद की जा सकती है?
3. रावेन (जेनिफर लॉरेंस), जेवियर की शेप शिफ्टिंग एडॉप्टिंग सिस्टर, साइकोलॉजिकल कॉन्फ्लिक्ट में थ्रिलिंग मोमेंट लाने का काम करती है. ये देखना बढिय़ा एक्सपीरिएंस है.
4. जेवियर और एरिक के बीच का आइडियोलॉजिकल कॉन्फ्लिक्ट भी फिल्म को इंट्रेस्टिंग और एक्साइटिंग बनाता है.
5. फैसबेंडर और मैकअवॉय पिछली फैंचाइजी के काउंटरपाट्र्स मैककेलैन और पैट्रिक स्टीवॉर्ट से मिलते-जुलते लगते हैं और उन्होंने अपने रोल के साथ पूरा जस्टिस किया है और ये चाल्र्स और एरिक को मेमोरेबल बना दिया है.
6.क्रिस सीजर्स के रेट्रो-ओरिएंटेड प्रोडक्शन डिजाइन को कैमरामैन जॉन मैथीसन के शार्प कैमरा एंगल्स ने और बेहतरीन बना दिया है.फिर भी व्यूअर्स के लिए सजेशन है फिल्म को बेहतर समझने के लिए मूवी के पिछले पाट्र्स का बैकग्राउंड सर्च कर लें वर्ना कहीं ऐसा न हो कि मूवी आपके सिर के ऊपर से गुजर जाए.
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