मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत 1 मई 1886 को हुई थी।
मजदूर दिवस कामकाजी लोगों के सम्मान में मनाया जाता है।
एक दौर ऐसा था जब मजदूरों से करीब 16 से 18 घंटे काम लिया जाता था।
मजदूरों की हालत बेहद दयनीय थी। छोटे-छोटे बच्चे और महिलाएं भी मजदूरी करती थीं।
ऐसे में एक बार अमेरिका के मजदूर संघों ने मिलकर इसमें बदलाव की मांग की।
मजदूर संघों ने हड़ताल करके 8 घंटे से ज्यादा काम नहीं करने का ऐलान किया।
इस दौरान मजदूरों को पुलिस की लाठियां और गोलियां तक खानी पड़ी।
बड़ी संख्या में विरोध में उतरे मजदूर गंभीर रूप से घायल भी हुए थे।
जिसके बाद से 1 मई 1889 से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस दिन की शुरुआत हो गई।
जिसमें तय हुआ इस दिन अवकाश रहेगा। सभी मजदूर आराम करेंगे।
वहीं भारत में इस खास दिन की शुरुआत 1 मई 1923 को चेन्नई से हुई थी।
मजदूरों की ये ऐतिहासिक तस्वीरें अपने आप में बड़ी गवाह हैं। कभी पोस्टर ब्वॉय भी मजदूर हुआ करते थे।
छोटे-छोटे बच्चे भी अपनी मां और पिता के साथ घंटों काम करते थ्ो।
हालांकि बाल मजदूरी पर रोक लगने के बाद भी आज भी कई देशों में जारी है।
बाल कामकारों के बढ़ने के पीछे का कारण आर्थिक और सामाजिक मजबूरियां भी हैं।
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