पेंशन खाते में जाता पैसा
ईपीएफ में सैलरी का 12 फीसदी हर माह कटता है। वहीं इसमें कंपनी यानी कि इंप्लॉयर भी इसमें 12 फीसदी जमा करती है, जिसमें कंपनी के कंट्रीब्यूशन से 8.33 प्रतिशत ईपीएस यानी कि पेंशन खाते में जाता है।
पीएफ पर मिलता ब्याज
ईपीएफ पर ब्याज भी मिलता है। ब्याज की राशि समय-समय पर चेंज होती रहती है। हालांकि यहां यह जानना जरूरी है कि इंप्लॉयर की तरफ से पेंशन के लिए जमा की गई राशि पर कोई ब्याज नहीं मिलता है।
शेयर में वॉलेंटरी प्रोविडेंट
अगर कर्मचारी चाहे तो अपने पीएफ की रकम और ज्यादा बढा सकते हैं। इसके लिए उन्हें कांट्रीब्यूशन में अपना शेयर बढ़ाना होगा। इसे वॉलेंटरी प्रोविडेंट कहते हैं। हालांकि वॉलेंटरी प्रोविडेंट पर ब्याज नहीं मिलता है।
नॉमिनी को मिलता पैसा
ईपीएफ में नॉमिनी जोड़ने का ऑप्शन भी होता है। नॉमिनी को चेंज करने या अपडेट करने के लिए फॉर्म नंबर 2 भरा जाता है। इस सर्विस में कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसकी पीएफ की रकम उसके नॉमिनी को मिलती है।
यूएन के जरिए हर जानकारी
पीएफ में UAN यानी कि यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर सेवा के तहत खाते से जुड़ी हर जानकारी देख सकते हैं। इसमें यह भी पता लगा सकते हैं कि कंपनी ने पैसा जमा किया या नहीं या फिर कितना जमा किया है।
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