कहां और क्या होती है संतान रेखा
हथेली में सबसे छोटी अंगुली के नीचे बुध पर्वत के अंत में विवाह रेखा होती है इसी के पास जो खड़ी रेखाएं दिखाई देती हैं जिन्हें संतान रेखा कहा जाता है। जहां विवाह रेखा आड़ी होती हैं वहीं संतान रेखा खड़ी होती हैं। यदि हृदय रेखा बुध क्षेत्र पर दो या तीन स्पष्ट हिस्सों में बंट जाये तो ये संतान होने की निश्चित निशानी होती है। इस स्थान पर मौजूद हर रेखा संतान की संख्या बताती है। खड़ी और सीधी रेखा स्वस्थ पुत्र और टेढ़ी-मेढ़ी पतली रेखा पुत्री होने का संकेत देती है।इन रेखाओं से जाना जा सकता है कि आपको पुत्र होगा या पुत्री।
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संतान रेखा से जुड़ी दस बातें

  • यदि संतान रेखा एकदम साफ, स्पष्ट और सीधी हों तो संतान सर्वगुण संपन्न रहती है। ऐसी सुतान माता पिता का सम्मान करने वाली होती है।
  • यदि संतान रेखाएं टूटी हुई या कटी हुई हों तो इसका मतलब है कि संतान पर कुछ बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
  • यदि हथेली में संतान रेखाएं लहरदार हो या इन रेखाओं पर कोई बिंदू या द्वीप हो तो संतान दोषयुक्त हो सकती है।
  • यदि संतान रेखा बिखरी और अस्पष्ट हो तो संतान दुखी रहती है। ऐसी संतान रेखा वालों को संतान से काफी कष्ट भी मिलता है।
  • यदि संतान रेखा के अंत में कोई द्वीप जैसा निशान हो तो संतान के रोगी होने की संभावनाएं अधिक होती हैं।

हाथ में जितनी होंगी ऐसी रेखाएं उतने होंगे आपके बच्‍चे

  • यदि किसी पुरुष की संतान रेखा उसकी पत्नी की संतान रेखा जितनी ही स्पष्ट हो तो ऐसे पुरुष बच्चों को बहुत प्यार करते हैं।
  • यदि रेखा के पतले हिस्से में द्वीप हो तो बच्चे पहले कमजोर होंगे लेकिन जैसे जैसे रेखा स्पष्ट होगी तो वे स्वस्थ्य होते जायेगें।
  • यदि संतान रेखा के अन्त में द्वीप चिह्न हो तो बच्चे के जीवित रहने की संभावनायें काफी कम होती हैं।
  • यदि पुरुष के हाथ में संतान रेखा स्पष्ट ना हो तो परेशान ना हों क्योंकि ये रेखाएं महिलाओं के हाथ में अधिक स्पष्ट होती हैं।
  • यदि संतान रेखाओं मे से कोई एक रेखा अधिक लंबी और स्पष्ट हो तो माता पिता के लिये बाकी की तुलना में कोई एक संतान अधिक प्रिय होगी।

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