शिक्षा व विज्ञान की कमी
नवरात्र आस्था व श्रद्धा से तो जुड़े ही हैं। इसके अलावा इनका वैज्ञानिक महत्व भी है। शरीर के विज्ञान से भी यह गहरा संबंध रखते हैं। यह प्राचीन काल से हमारे पूवर्जों के दौर से चले आ रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि उस दौर में शिक्षा की कमी व विज्ञान का ज्ञान न होने से इन नवरात्रों को आस्था व श्रद्धा से जोड़ दिया गया था। जिससे कि बड़ी संख्या में लोग इन्हें मानने लगे थे। यही वजह है कि यह आज भी आस्था व श्रद्धा से ही जुड़े हैं। वहीं इनका विज्ञान से जुड़ाव यह है कि यह साल में दो बार आते हैं। एक बार गर्मी की शुरुआत में चैत्र नवरात्र और एक बार जाड़े की शुरुआत में शारदीय नवरात्र होते हैं।
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तेजी से बदलाव भी होते
यह वह समय होता है कि जब जलवायु और सूरज के प्रभाव का संगम होता है। इस दौरान शरीर में मौसम के हिसाब से तेजी से बदलाव भी होते हैं। जिसमें अनाज, शराब, प्याज़, लहसुन व मांस मदिरा का सेवन नुकसानदायक होता है। इस दौरान शरीर में नाकारात्मक उर्जा तेजी से बढ़ती है। शरीर की ऊर्जा घटती-बढ़ती रहती है। जिसका असर सीधे शरीर पर पड़ सकता है। इतना ही नहीं इससे लोग बीमारियों के चपेट में जल्दी आ सकते हैं। ऐसे में इस तरह से नवरात्र का जुड़ाव सीधे शरीर से है। लोगों को इन दिनों थोड़ा अपने खान पान में कंट्रोल रखना चाहिए। इन दिनों व्रत रखने से मां के प्रति श्रद्धा भी हो जाएगी और शरीर को बीमारियों से भी बचाया जा सकता है।
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