1983 में आयी पहली हिंदी फिल्म
7 अप्रेल 1983 को उनकी पहली हिंदी फिल्म 'अंधा कानून' रिलीज हुई और उनके बॉलीवुड करियर का आगाज हुआ। इसी साल उनकी फिल्म 'जीत हमारी' भी प्रदर्शित हुई।
1984 में तीन फिल्में
अगले साल 1984 में रजनीकांत की तीन हिंदी फिल्में 'मेरी अदालत', 'गंगवा' और 'जॉन जॉनी जनार्दन' रिलीज हुईं।
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फिर से साल में दो फिल्में
इसके बाद उनकी फिर दो फिल्में 1985 में प्रदर्शित हुई। इनमें पहले आयी 'महागुरू' और उसके बाद इसी साल अगस्त में 'वफादार' रिलीज हुई।
1986 में फिर तीन फिल्में
एक क्रम की तरह साल 1986 में फिर से उनकी तीन फिल्में 'बेवफायी', 'भगवान दादा' और 'दोस्ती दुश्मनी'।
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अगले साल फिर दो फिल्में
1987 में उनकी फिर दो फिल्में प्रदर्शित हुईं। इनके नाम थे 'इंसाफ कौन करेगा' और 'उत्तर दक्षिण'।
टूटा क्रम
साल 1988 में उनका दो और तीन का सिलसिला टूट गया और सिर्फ एक ही फिल्म रिलीज हुई 'तमाचा'।
दो फिल्में
1989 में वापस दो फिल्में रिलीज हुईं पहले 'भ्रष्टाचार' और फिर श्रीदेवी और सनी देयोल के साथ सुपरहिट फिल्म 'चालबाज'।
सबसे कामयाब साल
1990 में खामोशी के बाद 1991 रजनीकांत का बॉलीवुड में सबसे कामयाब साल रहा जब उनकी एक दो नहीं बल्कि चार फिल्में रिलीज हुईं। इसमें सुपर हिट फिल्म 'हम' भी शामिल है जिसमें वे फिर से अमिताभ और गोविंदा के साथ नजर आये। इसके अलावा बाकी तीन फिल्में 'फरिश्ते', 'खून का कर्ज' और 'फूल बने अंगारे' थीं।
थम गयी गति
इसके बाद बॉलीवुड में रजनीकांत की स्पीड रुक गयी। 1992 में उन्होंने नाकामयाब फिल्म 'त्यागी' की। उसके बाद 1993 में औसत फिल्म इंसानियत के देवता आयी।
तलाईवा ने की आखिरी फिल्म
बॉलीवुड में अपने दौर को खत्म होते देख रजनीकांत ने उसे नमस्कार कहना ही बेहतर समझा और 1994 में कोई फिल्म ना करने के बाद 1995 में आखिरी फिल्म 'आतंक ही आतंक' आमिर खान के साथ करने के बाद यहां से विदा ले ली।
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