राष्ट्रपति की पहली यात्रा
लद्दाख में चीन की चुनौती का सामना कर रहे सैनिकों का हौसला बढ़ाने सशस्त्र सेनाओं के सुप्रीम कमांडर भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद दिल्ली के बाहर अपने पहले दौरे पर लद्दाख पहुंचे। जहां सूबे की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, राज्यपाल एनएन वोहरा, वरिष्ठ मंत्री सहित भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने राष्ट्रपति का स्वागत किया। राष्ट्रपति सीधे एयरपोर्ट से स्काउट्स रेजिमेंटल सेंटर पहुंचें जहां उन्हें परेड ने सलामी दी। यहां उन्होंने लद्दाख स्काउट्स व इसकी पांच बटालियनों को फ्लैग और राष्ट्रपति कलर्स प्रदान किए। प्रेसीडेंट कलर्स युद्ध व शांति काल दोनों के दौरान असाधारण सेवा देने के सेना की एक ईकाई को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है।
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जाने लद्दाख स्काउटस को
- लद्दाख स्काउट्स का गठन 1948 में नोबरा गार्डस के रूप में हुआ था।
- कारगिल युद्ध में वीरता की मिसाल बने लद्दाख स्काउट्स का वर्ष 2000 में पुनर्गठन करके इसे इन्फैंटरी रेजीमेंट का दर्जा दिया गया था।
- बहादुरी के लिए अब तक लद्दाख स्काउट्स को वीरता के लिए 605 वीरता पदक मिले हैं।
- इस रेजिमेंट को स्नो वारियर या स्नो टाइगर के उपनामों से भी पुकारा जाता है।
- ये लद्दाख रीजन और जम्मू कश्मीर के में ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों में भारतीय सीमाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालती है।
- इस रेजिमेंट में अधिकतर तिब्बतियन और लद्दाखियों की भर्ती की जाती है। साथ ही ये भारतीय सेना के सबसे शानदार बलों में से एक मानी जाती है।
- शुरूआत में लद्दाख स्काउटस का इस्तेमाल टोही और इंटरडिक्शन यूनिट के तौर ही किया जाता था।
- इस रेजिमेंट में 5 बटालियन के साथ सेना से जुड़े कई सर्पोट पर्सनल होते हैं।
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