गुरमीत राम रहीम का सच सामने लाने वाला पत्रकार रामचंद्र छत्रपति
Know about Journalist RamChander Chhatrapati who exposed Gurmeet Ram Rahim
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गुरमीत राम रहीम का सच सामने लाने वाला पत्रकार रामचंद्र छत्रपति
राम रहीम को साध्वियों का दुष्कर्म करने के मामले में जब 20 सालों की सजा हुई तब एक नाम उभर कर आया। वो नाम था पत्रकार रामचंद्र छत्रपति का जिन्होंने सबसे पहले अपने अखबार पूरा सच में एक गुमनाम पत्र छापा था। पत्र में जिक्र किया गया था कि कैसे डेरे के अंदर साध्वियों के साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया जाता है। इस खुलासे के कुछ दिनो बाद ही छात्रपति की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। 16 सितंबर को सीबीआई की विशेष अदालत में इस मामले की सुनवाई होनी है। पिछले 14 सालों से ये मामला कोर्ट में चल रहा है।
कौन थे रामचंद्र छत्रपति
रामचंद्र छत्रपति हरियाणा के सिरसा शहर से प्रकाशित होने वाले एक स्थानीय सांध्य समाचारपत्र पूरा सच के प्रकाशक व संपादक थे। 30 मई 2002 को उन्होंने अपने समाचार पत्र पूरा सच में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम द्वारा साध्वियों के साथ दुष्कर्म करने की खबर छापी थी। 24 अक्टूबर 2002 में अज्ञात हमलावरों नें उन्हीं के घर के बाहर छत्रपति को गोलियों से छलनी कर दिया था। 21 अक्तूबर को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में 28 दिनो के बाद उनका निधन हो गया था। अगस्त 2017 में साध्वियों का दुष्कर्म करने के मामले में जिसका खुलासा रामचंद्र छत्रपति ने किया था राम रहीम को 20 साल की सजा सीबीआई की विशेष अदालत ने सुनाई थी।
पूरा सच ने छापा था साध्वी का अज्ञात पत्र
सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति अपने अखबार पूरा सच में अक्सर डेरा सच्चा सौदा में हो रहे अन्याय और अत्याचार के बारे में लिखते थे। डेरा में यौन शोषण का खुलासा उनके ही अखबार ने सबसे पहले किया था। पूरा सच अखबार ने एक गुमनाम पत्र छापा था जिसमें विस्तार से बताया गया था कि किस तरह से सिरसा स्थित डेरा मुख्यालय में महिलाओं का यौन उत्पीड़न होता था। जिसके बाद खलबली मच गई थी। सीधे तौर पर राम रहीम पर सवाल उठने लगे थे। जिसके बाद गोली मार कर उनकी हत्या कर दी गई थी। 28 दिनो तक रामचंद्र छत्रपति अपनी मौत से लड़ते रहे और आखिर में वो हार गए।
14 सालों से चल रहा है हत्या का केस
रामचंद्र छत्रपति की हत्या का मामला कोर्ट में पिछले 14 सालों से चल रहा है। इस मामले में 10 नवम्बर 2003 को सीबीआई ने डेरा प्रमुख के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की थी। राजनीतिक दबाव और आर्थिक तंगी के चलते 2014 में पूरा सच अखबार का प्रकाशन रामचंद्र के परिवार को रोकना पड़ा था। राम रहीम को सजा होने के बाद छत्रपति का बेटा अंशुल फिर से पूरा सच अखबार का प्रकाशन शुरु करना चाहता है। रामचंद्र ने पूरा सच की शूरूआत 2000 में की थी। डेरा मामले के खुलासे के बाद ही उनकी हत्या हो गई थी। जिसके बाद डेरा की ओर से अखबार के प्रकाशन को बंद करने का दबाव बनाया गया था। अखबार के स्तंभकारों, हॉकर्स, विज्ञापन देने वालों और पत्रकारों को धमकियां दी जा रही थी।
कौन थे रामचंद्र छत्रपति
रामचंद्र छत्रपति हरियाणा के सिरसा शहर से प्रकाशित होने वाले एक स्थानीय सांध्य समाचारपत्र पूरा सच के प्रकाशक व संपादक थे। 30 मई 2002 को उन्होंने अपने समाचार पत्र पूरा सच में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम द्वारा साध्वियों के साथ दुष्कर्म करने की खबर छापी थी। 24 अक्टूबर 2002 में अज्ञात हमलावरों नें उन्हीं के घर के बाहर छत्रपति को गोलियों से छलनी कर दिया था। 21 अक्तूबर को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में 28 दिनो के बाद उनका निधन हो गया था। अगस्त 2017 में साध्वियों का दुष्कर्म करने के मामले में जिसका खुलासा रामचंद्र छत्रपति ने किया था राम रहीम को 20 साल की सजा सीबीआई की विशेष अदालत ने सुनाई थी।
पूरा सच ने छापा था साध्वी का अज्ञात पत्र
सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति अपने अखबार पूरा सच में अक्सर डेरा सच्चा सौदा में हो रहे अन्याय और अत्याचार के बारे में लिखते थे। डेरा में यौन शोषण का खुलासा उनके ही अखबार ने सबसे पहले किया था। पूरा सच अखबार ने एक गुमनाम पत्र छापा था जिसमें विस्तार से बताया गया था कि किस तरह से सिरसा स्थित डेरा मुख्यालय में महिलाओं का यौन उत्पीड़न होता था। जिसके बाद खलबली मच गई थी। सीधे तौर पर राम रहीम पर सवाल उठने लगे थे। जिसके बाद गोली मार कर उनकी हत्या कर दी गई थी। 28 दिनो तक रामचंद्र छत्रपति अपनी मौत से लड़ते रहे और आखिर में वो हार गए।
14 सालों से चल रहा है हत्या का केस
रामचंद्र छत्रपति की हत्या का मामला कोर्ट में पिछले 14 सालों से चल रहा है। इस मामले में 10 नवम्बर 2003 को सीबीआई ने डेरा प्रमुख के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की थी। राजनीतिक दबाव और आर्थिक तंगी के चलते 2014 में पूरा सच अखबार का प्रकाशन रामचंद्र के परिवार को रोकना पड़ा था। राम रहीम को सजा होने के बाद छत्रपति का बेटा अंशुल फिर से पूरा सच अखबार का प्रकाशन शुरु करना चाहता है। रामचंद्र ने पूरा सच की शूरूआत 2000 में की थी। डेरा मामले के खुलासे के बाद ही उनकी हत्या हो गई थी। जिसके बाद डेरा की ओर से अखबार के प्रकाशन को बंद करने का दबाव बनाया गया था। अखबार के स्तंभकारों, हॉकर्स, विज्ञापन देने वालों और पत्रकारों को धमकियां दी जा रही थी।
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