पहला अध्याय:
इस अध्याय का पाठ करने से चिंताएं दूर होती हैं। शत्रुओं का नाश होता है।

दूसरा अध्याय:
इसका पाठ करने से घर एवं भूमि आदि से जुड़े विवादों से मुक्ति मिलती हैं।

तीसरा अध्याय:
इसके पाठ से युद्ध एवं मुकदमे में विजय व शत्रुओं से छुटकारा मिलता है।

नवरात्र में दुर्गा सप्‍तशती के इन 13 अध्‍यायों का पाठ करने से मिलता है अलग-अलग फल

चौथा अध्याय:
इसके पाठ से धनवान होने के साथ ही सुन्दर जीवन साथी व अपनो का साथ मिलता है।

पांचवा अध्याय:
इसका पाठ करने से भय, बुरे स्वप्नों के साथ भूत प्रेत बाधाओं से छुटकारा मिलता है।

छठवां अध्याय:

इसका पाठ करने से बाधाएं दूर होती हैं। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

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सातवां अध्याय:
इसके पाठ से मन की हर एक गुप्त कामना भी पूरी हो जाती है।  

आठवां अध्याय:

इस अध्याय के पाठ से अकूत धन लाभ मिलता है। साथ ही वशीकरण प्रबल होता है।

नौवां अध्याय:  
संपत्ति एवं धन का लाभ प्राप्त होता है। साथ ही खोए हुए की तलाश पूरी होती है। कैसे करें चैत्र नवरात्र के कलश की स्थापना और पूजा,क्या हैं मुहूर्त

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दसवां अध्याय:
इसके पाठ से शक्ति और संतान का सुख भी प्राप्त होता है। वहीं गुमशुदा की तलाश पूरी होती है।
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ग्यारहवां अध्याय:
इसका पाठ करने से हर प्रकार की चिंता से मुक्ति मिलती है। साथ व्यापार में सफलता एवं सुख-संपत्ति मिलती है।

बारहवां अध्याय:

इस अध्याय के पाठ से रोगो से मुक्ति मिलती है। समाज में मान-सम्मान मिलता है।

तेरहवां अध्याय:
इस आखिरी अध्याय से जीवन की सभी इच्छित वस्तुएं आसानी से मिल जाती हैं।
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