1- सरकार ने हफ्ते भर पहले पब्लिक की सहूलियत के लिए ओटीपी के जरिए आधार लिंकिंग की इजाजत दी है। पहले कस्टमर को टेलिकॉम ऑपरेटर के सेंटर पर कतार में खड़ा होना पड़ता था अब यह चंद मिनटों में हो जाएगा। मोबाइल नंबर को आधार से लिंक कराने को लेकर लोगों में दो चिंताएं हैं। पहली है निजता और दूसरी है असुविधा।
2- विपक्ष का सबसे बड़ा सवाल है कि क्या सरकार पब्लिक को अपना मोबाइल फोन आधार नंबर से लिंक कराने का दबाव बनाने के लिए जानबूझकर फरवरी में जारी सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर की गलत व्याख्या कर रही है। आधार कार्ड बनवाते समय ज्यादातर लोग लेते अपना मोबाइल नंबर सरकार को बता चुके हैं। आधार के रिकॉर्ड के हिसाब से वही आपका रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर है।
3- सरकार आपके मोबाइल नंबर को आधार से वेरिफाई करने की कोशिश कर रही है। इससे यह पक्का होगा कि कहीं सिम कनेक्शन फर्जी आइडेंटिटी पर तो नहीं लिया गया था। इंडियन टेलिग्राफ एक्ट के मुताबिक, सिम कार्ड इशू करते वक्त ऑपरेटर को नो योर कस्टमर्स नॉर्म्स का पालन करना पड़ता है। सिम कार्ड लेने के लिए पासपोर्ट, वोटर आईडी या पैन कार्ड जैसी आइडेंटिटी देनी पड़ती है।
4- आपने कभी सोचा है मोबाइल ऑपरेटर या लोकल दुकानदार के पास डॉक्युमेंट्स की जो फोटोकॉपी जमा होती है उसका क्या होता है। लोकल टेलिकॉम रिटेल एजेंट्स पहले से मौजूदा डॉक्युमेंट्स को रीसाइकिल करके दूसरे कस्टमर्स को कनेक्शन बांटने के लिए उसका दुरुपयोग करते हैं। आपको यह भी नहीं पता होगा कि आपके डॉक्युमेंट्स पर किस-किस ने सिम कार्ड लिया है।
5- अगर किसी ने सिम कार्ड के लिए आपके डॉक्युमेंट्स का यूज किया और वह कोई अपराध करता है तो पुलिस आपके घर पहुंचेगी। आधार के बायोमीट्रिक ऑथेंटिकेशन से फ्यूचर में कोई आपके नाम पर सिम कार्ड नहीं ले पाएगा। अगर कोई ऐसा कर चुका है तो री-वेरिफिकेशन में उसका कनेक्शन बंद हो जाएगा।
6- सरकार ने कहा है कि जिन लोगों के मोबाइल फोन आधार से रजिस्टर्ड हैं या फिर जिनके पास दूसरा फोन कनेक्शन है जो आधार से रजिस्टर्ड नहीं है उसे ओटीपी के जरिए आधार से लिंक कराया जा सकता है। सरकार ने उनकी यह फिक्र भी दूर कर दी है। कुल मिलाकर सरकार ने मोबाइल सिम और आधार लिंकेज में पब्लिक की निजता और सुविधा संबंधी शिकायतें दूर कर दी हैं।
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