शनिवार सुबह से ही बनारस की सड़कों का रंग बदलता दिखा. सुबह जब बनारस वासी उठे तो सड़कें खाली थीं, लेकिन जैसे-जैसे सूरज चढ़ता गया, सड़कों पर सफेद टोपियां पहने कांग्रेस समर्थकों का सैलाब उतर आया.
दोपहर होते-होते चिलचिलाती धूप से बचने के लिए जब लोगों ने अपने-अपने घरों की पनाह ली, तो सड़कों ने फिर से अपना रंग बदलना शुरू किया.
प्रचार के आखिरी दिन समाजवादी पार्टी की ओर से यह पहली और आख़िरी कोशिश थी.
अखिलेश का रोड शो मलदहिया से शुरू होकर गोदौलिया पर ख़त्म हुआ और इस बीच कई जगह सपा समर्थकों ने फूल माला पहनाकर अखिलेश यादव का स्वागत किया.
बनारस में शनिवार को जहां एक तरफ पारा 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, तो सियासी सरगर्मी भी अपने उफ़ान पर रही.
खुली जीप में लाल रंग की नेहरू टोपी पहने अखिलेश यादव पार्टी नेताओं के साथ रोड शो किया.
मोदी को इजाज़त न देने के ख़िलाफ़ भाजपा का धरना
मोदी पर निशाना
अखिलेश यादव और अन्य नेता लाल रंग की नेहरू टोपी पहने थे, लेकिन तपती दोपहरी में कार्यकर्ताओं को राहत देने के लिए लाल रंग की स्पोर्ट्स टोपियां भी बाँटी गईं.
अखिलेश ने पार्टी प्रत्याशी कैलाश चौरसिया का समर्थन करने के लिए लोगों से अपील की. रोड शो के दौरान उन्होंने नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा.
समाजवादी पार्टी इस बात से परेशान है कि उत्तर प्रदेश में उसका शासन है और प्रदेश की सबसे महत्वपूर्ण सीट पर वो कोई ख़ास चुनौती पेश नहीं कर पा रही है.
इसके अलावा बनारस के निर्णायक संख्या में मौजूद मुस्लिम मतदाताओं को भी अपने साथ जोड़े रखना है, जिसके अरविंद केजरीवाल के साथ जाने का ख़तरा पैदा हो गया है.
भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल का जबसे यहां आगमन हुआ है, उसके बाद शायद पहली बार समाजवादी पार्टी के किसी सबसे कद्दावर नेता का यहां पदार्पण हुआ है.
ग़ौरतलब है कि दो दिन पहले बनारस की घनी आबादी के बीच स्थित बेनियाबाग में मोदी की रैली को प्रशासन ने अनुमति नहीं दी थी, लेकिन आज राहुल गांधी और अखिलेश यादव के दो रोड शो हुए. इस पर भाजपा ने सवाल खड़े किए हैं.
भाजपा, कांग्रेस और आप के बीच त्रिकोणीय होते जा रहे मुकाबले में सपा भी अपना दमखम दिखाने की जुगत में है और इसी के चलते चुनाव प्रचार के आखिरी दिन, उसने भी दोपहर बाद बनारस में रोड शो का आयोजन किया.
कम दिखी भीड़
अखिलेश के पिता और सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव बनारस से सटे अपने चुनावी क्षेत्र आजमगढ़ में ध्यान केंद्रित किए हुए हैं, इसलिए अखिलेश प्रदेश में पार्टी की धार को मजबूत करने में जुटे हैं.
समीक्षक अनुमान लगा रहे हैं कि बनारस में मोदी के ख़िलाफ़ आप और कांग्रेस के उम्मीदवार ही प्रमुख रूप से चुनौती पेश कर रहे हैं. इसलिए मुलायम सिंह की पार्टी के लिए यह सम्मान का भी सवाल बन गया है.
सपा उत्तर प्रदेश में 2012 के विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई थी.
इस रोड शो में मोदी, केजरीवाल और राहुल के मुकाबले कम भीड़ दिखी, जोकि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की लोकप्रियता घटने का एक संकेत भी है.
शुक्रवार को अरविंद केजरीवाल का जब रोड शो हुआ तो भी लोगों की भारी भीड़ देखी गई और जब शनिवार को राहुल गांधी का रोड शो हुआ तो उसमें भी भारी भीड़ देखी गई.
इससे यह कह पाना बहुत मुश्किल लगने लगा है कि यहां किसका पलड़ा भारी है और 16 मई को ईवीएम से बनारस का कौन सा रंग दिखेगा.
बनारस में आम चुनावों के अंतिम चरण में सोमवार को मतदान होना है. चुनावों के नतीजे 16 मई को आएंगे.
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