मुंबई, (मिडडे)। कैटरीना कैफ ने बॉलीवुड में अपनी शुरुआत 2003 में फिल्म बूम से की थी जो बॉक्स ऑफिस पर धराशायी हो गई। यहीं से उनकी जिंदगी में सलमान खान की एंट्री हुई। कैट खुद मानती हैं कि बूम के बाद शुरूआत में फिल्मों के चयन करने में उन्होंने सलमान की हेल्प ली थी। इसके अलावा उनकी मदद करने वालों में साजिद नाडियाडवाला और डेविड धवन भी शामिल थे। हांलाकि कौन सी फिल्म करनी है इस बारे में अंतिम निर्णय उन्ही का होता था।
भारतीयता का प्रभाव
कैटरीना एक पूरी तरह ट्रांसपेरेंट और ईमानदार हैं, लेकिन जो अक्सर अपनी बुद्धिमत्ता का दिखावा करने से बचती हैं ताकि उनकी इमेज दबी ढकी भारतीय नारी की बनी रहे। अपने बचपन की यादें ताजा करते हुए उन्होंने बताया कि उनका बचपन सात बहनों और एक भाई वाले विशाल संयुक्त परिवार में बीता था। घर का वातावरण काफी हद तक भारतीय था। वे जन्म से आधी ब्रिटिश और आधी भारतीय हैं और इसीलिए उनकी वैल्यूज भारतीय ही हैं।
संघर्ष की शुरूवात
कैटरीना का संघर्ष 2000 में शुरू हुआ जब वह मुंबई पहुंची। उन्होंने बताया कि वे मॉडल बनने के लिए मुंबई आई थीं और उस समय कोई नहीं कह सकता था कि वे एक एक्ट्रेस के रूप में नाम कमायेंगी। वे फ़ोटोग्राफ़र फ़ारूख चोथिया से मिलीं, जो उनको सही मॉडलिंग एजेंसियों से मिलाते थे। जल्द ही, मॉडलिंग असाइनमेंट में बाधा आने लगी। ये सिलसिला फोटोग्राफर डब्बू रत्नानी के उनके पोर्टफोलियो को बना कर बांटने तक चला। इस पोर्टफोलियो के चलते ही कैटरीना को अपना पहला फिल्म प्रोजेक्ट मिला।
नहीं थी एक्टिंग की समझ
कैट बताती हैं कि जब उन्होंने 2003 में अपनी पहली फिल्म बूम की तब वे ना तो ये समझती थीं कि वे क्या करना चाहती हैं और ना ही कैमरा एंगल्स, लेंग्वेज, और काम के तरीकों के बारे में जानती थीं। कैटरीना मानती हैं कि उनके फिल्मी करियर की असली शुरुआत 2005 में राम गोपाल वर्मा की 'सरकार' से हुई, उसके बाद 'मैने प्यार क्यूं किया' ने उसे आगे बढ़ाया।
साउथ की फिल्मों में काम
2004 में, उन्होंने ब्लॉकबस्टर तेलुगु रोमांटिक कॉमेडी मलिस्वरी में अभिनय किया, जिसमें उन्हें दक्षिण के सुपरस्टार वेंकटेश का साथ मिला। कैटरीना जब मुंबई आयी थीं तब बिल्कुल अकेली थीं और किसी को नहीं जानती थीं। वे अकेली दो कमरों के फ्लैट में रहती थीं। पूरा दिन वे माडलिंग एसाइन्मेंट के लिए एडवरटाइजिंग एजेंसीज के चक्कर लगाती थीं। कैटरीना कैफ ने दक्षिण भारतीय फिल्मों में भी अभिनय किया जैसे 2005 में अल्लारी पिदुगु (तेलुगु) और 2006 में बलराम बनाम तरदास (मलयालम)।
लगातार प्रयास से मिली सफलता
आखिर में कई असफल प्रयासों के बाद, उन्होंने आखिरकार विपुल शाह की रोमांटिक कॉमेडी, 'नमस्ते लंदन' (2007) के साथ सफलता का स्वाद चखा। यहीं से उन्हें अक्षय कुमार का साथ और हिट फिल्मों का सिलसिला मिला। जो 'वेलकम' (2007), 'सिंह इज किंज', 'न्यूयॉर्क' (2009), 'रजनीति' (2010), 'जिंदगी ना मिलेगी दोबारा' (2011) और 'एक था टाइगर' (2012) तक चलता रहा।
'भारत' के साथ परिवार के साथ दोबारा
अब वह एक बार फिर सलमान खान के साथ 'भारत' में नजर आने को तैयार कैटरीना सलमान खान के परिवार के साथ गहरे जुड़ी हुई हैं। वे कहती हैं कि सलमान ने उन्हें गाइड किया, मुझे सही भूमिकायें चुनने में मदद की और लगातार उनके लिए खड़े रहे थे। अब सलमान और उनके परिवार के साथ, वे कभी भी मुंबई में अकेली नहीं महसूस करतीं।
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