कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Karwa Chauth 2021 : कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चाैथ का व्रत रखती हैं। करवा चौथ विशेष रूप से उत्तर भारत में हिंदू महिलाओं के बीच बहुत लोकप्रिय है। यह व्रत निर्जल रखा जाता है। इस दिन महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं और सोलह श्रृंगार कर चांद को अर्घ देती हैं। चांद के पूजन और दर्शन के बाद पति के हाथों से जल पीकर अपना व्रत तोड़ती है। इसके बाद घर के सभी बड़े-बुजुर्गों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेती हैं। इस बार यह करवा चाैथ का व्रत 24 अक्टूबर को पड़ रहा है।
इतिहास
इस व्रत का पालन उत्तरी क्षेत्र से शुरू हुआ। देश भर में महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखना शुरू कर दिया। पहले पुरुष मुगलों के खिलाफ युद्ध के लिए बाहर जाते थे और महिलाएं बच्चों के साथ घरों में अकेली रहती थीं। इसलिए, पति की जीत और भलाई के लिए प्रार्थना करने के लिए, पत्नी भगवान की पूजा करती थीं और निर्जला व्रत रखती थीं। प्राचीन काल में लोग समय की गणना चन्द्रमा और सूर्य के परिभ्रमण से करते थे। इसलिए, अश्विन महीने में कृष्ण पक्ष के चौथे दिन, महिलाएं युद्ध से अपने पति के आने की प्रतीक्षा करती थीं और अपना व्रत खोलती थीं।
महत्व
करवा चौथ के त्योहार का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। यह दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष को पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि इस महीने के दौरान देवी पार्वती और भगवान विष्णु अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं। साथ ही देवी महिलाओं की मनोकामना भी पूरी करती हैं और उनके पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इसलिए, देवी को प्रसन्न करने के लिए, महिलाएं व्रत रखती हैं और आशीर्वाद लेती हैं।
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