महाभारत काल में द्रौपती ने श्रीकृष्ण के परामर्श पर पाण्डवों के लिए करवाचौथ का व्रत रखा था। वहीं गान्धारी ने धृतराष्ट्र के लिए और इंद्राणी ने इंद्र के लिए ये व्रत रखा था। शिव पुराण के अनुसार विवाह के पूर्व पार्वती जी ने शिव की प्राप्ति के लिए ये उपवास रखा था और लक्ष्मी जी ने नारायण के लिए करवाचौथ व्रत रखा था। ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु को महाराज बलि ने बंधक बना लिया था तब देवी लक्ष्मी ने उन्हें पुन: पाने के लिए करवाचौथ का उपवास रखा था।

अविवाहित कन्याएं व्रत रखें, मिलेगा मनचाहा वर

जिन कन्याओं का विवाह न हो रहा हो उन्हें किसी महिला की बची हुई मेहंदी लगानी चाहिए। शीघ्र ही विवाह होगा जाएगा। कढ़ी-चावल, मूंग के बड़े व विविध प्रकार के व्यंजन बनाने चाहिए। करवा में पिसे हुए चावल का लेप लगाते हैं। कढ़ी -चावल, मूंग के बड़े अवश्य बनाएं, यदि संभव हो तो घर के बने लड्डू चाढ़ाएं। जहां छत पर पूजन करें, वहां पर पूजा से पहले जल से या गोबर से लीप दें। करवे पर कलावा जरूर बांधें। मिट्टी, तांबा, चांदी और सोने का करवा पूज्यनीय है। मालूम हो कि मिट्टी का करवा ज्यादा शुभ होता है।

पूजन विधि-इस प्रकार करें पूजा

एक पाटे परजल का लोटा रखें और बायना निकालने के लिए मिट्टी का करवा रखें। करवे में गेंहूं ढ़कें और चीनी व रुपए भी रखें। रोली, चावल और गुड़ चढ़ाएं। रोली से जल के लोटे पर और बायने से करवे पर सतिया बनाएं। रोली से तेरह टिक्की करें। रोली चावल छिड़कर जल चढ़ाएं। तेरह दानें गेहूं के हाथ में लेकर कहानी सुनें। कहानी सुनने के बाद करवे पर हाथ फेर करके सास के पैर छूकर बायना दें। तेरह दाने और जल का लोटा रखें। चंद्रोदय होने पर चांद को अर्घ्य दें।चांद को रोली-चावल और चूरमा चढ़ाएं। परिक्रमा करके टीका लगाएं और अपने से बड़ी महिलाओं की तथा पति के पैर छुएं। इसके बाद में भोजन करें अगर अपनी बहन-बेटी पास में रहती हो तो उसके यहां भी करवा भेजना चाहिए। करवे में गेंहूं और ढक्कन में नगद रुपए रख कर भेज दें।

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व्रती महिलाओं को उपहास करने से चंद्र देव होंगे रुष्ट

महिलाएं बिना मंगलसूत्र के पूजा न करें। बाल खुले नहीं रखना चाहिए। करवे को थल या छत पर नहीं रखना चाहिए। किसी के बहकावे में न आएं, दीपक बुझना नहीं चाहिए, सभी बहनें अगल-बगल में पूजा न करें, महिलाओं को डायमंड की कोई चीज उपहार स्वरूप देनी चाहिए। व्रती को देखकर उपहास न करें अन्यथा चंद्रमा रूष्ट हो जाते हैं। काली हल्दी चढ़ाना शुभ है, सुहाग सामग्री दान करनी चाहिए। संभव हो तो अपने पहले व्रत में मायके से आए सामान का ही उपयोग करना चाहिए।

-पंडित दीपक पांडेय

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