कानपुर (फीचर डेस्क)। आपकी शूटिंग पर आपके बेटे तैमूर भी साथ होते हैं। आपको एक्टिंग करते हुए देखकर उनका रिएक्शन कैसा रहता है?

अभी वह बहुत छोटा है। वह लाल सिंह चड्ढा की शूट पर भी मेरे साथ था लेकिन शूटिंग के वक्त मेरा ध्यान काम पर होता है। वह मेरे आस-पास नहीं होता। एक एक्टर से शादी करने से चलते, क्या आपको लगता है कि एक ही प्रोफेशन में होने की वजह से वह आपको ज्यादा बेहतर समझते हैं? जी हां, बिल्कुल। सैफ (अली खान) ने कभी मुझसे नहीं पूछा कि मैं कौन सी फिल्म कर रही हूं। मैं भी नहीं बताती। उसको सिर्फ एक ही चीज जाननी होती है कि मैं घर कब आ रही हूं। वह मुझे पूरा सपोर्ट करते हैं।

अब जबकि आप मां भी हैं, किस तरह सब मैनेज करती हैं?

मैं अपने वक्त को लेकर बहुत पाबंद हूं। मैं साफ बोल देती हूं और शूटिंग भी आठ घंटे से ज्यादा नहीं करती हूं। मेरी कोशिश होती है कि हफ्ते में 4 दिन ही मेरी शूट हो। मेरी प्रायोरिट तैमूर है। मैं ज्यादा से ज्यादा कोशिश करती हूं कि तैमूर के साथ वक्त बिता सकूं।

हम जानना चाहेंगे कि खुशी आपके लिए क्या है?

मैं छोटी-छोटी चीजों में खुशियां ढूंढती हूं। जब भी तैमूर के साथ होती हूं तो खुशी मिलती है। मैं कभी-कभी घर पर हलवा खाकर भी खुश हो जाती हूं।

क्या तैमूर को कभी डांटती भी हैं?

मैं कोशिश भी नहीं करती कि उसको डांट लगाऊं क्योंकि मैं जैसे ही उसे डांटती हूं, मेरा दिल बैठ जाता है। मैं सैफ को बोलती हूं कि तुम सख्त बनो, तुम्हें तो एक्सपीरियंस होगा। सैफ सोचते हैं कि वह डिसिप्लिन्ड डैड हैं, पर ऐसा है नहीं।

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