कानपुर (आईएएनएस)। कानपुर के चौबेपुर थाने के करीब 68 पुलिसकर्मियों को मंगलवार देर रात लाइन हाजिर कर दिया गया, क्योंकि पिछले शुक्रवार को बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद उनकी भूमिका पर संदेह पैदा हो गया है। वहीं कानपुर के पूर्व एसएसपी अनंत देव तिवारी जो कि डीआईजी एसटीएफ के पद पर तैनात हैं उनकी भूमिका पर अब बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं। उन पर चौबेपुर थाना प्रभारी विनय तिवारी को बचाने का आरोप लग रहा है। शासन ने अनंत देव तिवारी को डीआईजी एसटीएफ के पद से हटाकर मुरादाबाद पीएसी भेज दिया। अभी तक अनंत देव तिवारी एसटीएफ की उस टीम में शामिल थे जो कानपुर एनकाउंटर की जांच कर रही है।
जय बाजपेयी को विकास दुबे का फायनेंसर कहा जा रहा
चौबेपुर थाना प्रभारी की कानपुर के व्यापारी जय बाजपेयी के साथ तस्वीरें सामने आई हैं। जय बाजपेयी को हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे का फायनेंंसर कहा जा रहा है। प्रारंभिक जांच के बाद पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की गई, जिसमें पाया गया कि चौबेपुर के अधिकांश पुलिसकर्मी कानपुर एनकाउंटर के मुख्य आरोपी गैंगस्टर विकास दुबे के संपर्क में थे। थाना प्रभारी विनय तिवारी पहले ही निलंबित किए जा चुके हैं।
पुलिस स्टेशन से टिप-एफएफ फॉर्म के जरिए मिली थी जानकारी
3 जुलाई की रात पुलिस टीम के बिकरू गांव पहुंचने की जानकारी विकास दुबे को पुलिस स्टेशन से टिप-एफएफ फॉर्म के जरिए मिली थी। जिसके बाद वह पुलिस पर हमले के लिए तैयार हो गया। वहीं एक पत्र जिसे कथित तौर पर शहीद हुए सर्कल ऑफिसर देवेंद्र मिश्रा द्वारा लिखा गया है, में यह उल्लेख किया गया है कि कैसे चौबेपुर पुलिस स्टेशन अधिकारी अपराधी को बचाने की कोशिश कर रहा है।
फेसबुक पोस्ट के जरिए वह अपर कास्ट को प्रोवोक कर रहा युवक
वहीं, बागपत में जिला शहरी विकास प्राधिकरण के कार्यालय में एक संविदा कर्मचारी के रूप में काम करने वाले एक कंप्यूटर ऑपरेटर को आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मुख्य आरोपी फरार गैंगस्टर विकास दुबे की प्रशंसा करने के चलते गिरफ्तार किया गया है। अविनाश मिश्रा (26) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इसको लेकर एक पोस्ट डाली थी। फेसबुक पोस्ट के जरिए वह अपर कास्ट को प्रोवोक कर रहा था।
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