कंगना के शब्दों में ही पढ़िए सैफ़ को लिखा जवाब-
भाई-भतीजावाद की बहस का विस्तार थमता नहीं दिखा रहा है। हालांकि इस बहस में हर कोई अपना तर्क एक सौहार्दपूर्ण माहौल में रख रहा है। इस बहस में मुझे कुछ दृष्टिकोण अच्छे लगे तो कुछ से मैं परेशान भी हुई। इस सुबह मैं जगी तो सैफ़ अली ख़ान का ऑनलाइन ओपन लेटर देखा।
पिछली बार मैं इस मुद्दे पर फ़िल्मकार करण जौहर के लिखे ब्लॉग से काफ़ी दुखी और परेशान हुई थी। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि फ़िल्म के बिज़नेस को बढ़ाने के लिए कई मानदंड हैं। उन मानदंडों में प्रतिभा नहीं थी।
करण जौहर भोले हैं?
अगर वह गलफहमी के शिकार हैं या वह बिल्कुल भोले हैं तो मुझे नहीं पता, लेकिन उन्होंने ऐसा कहकर दिलीप कुमार, के आसिफ, बिमल रॉय, सत्यजीत रॉय, गुरुदत्त और ऐसी कई प्रतिभाओं की बेइज़्ज़ती की है। जिनका मैंने नाम लिया उनके पास असाधारण प्रतिभा थी और है, जिनसे हमारी समकालीन फ़िल्म की रीढ़ बनी है। करण जौहर का ऐसा कहना कितना हास्यास्पद है।
यहां तक की आज के वक़्त में ऐसी कई मिसालें हैं जहां लोगों ने बिना ब्रैंडेड कपड़े, आभिजात्य ज़ुबान, बनावटी परवरिश के मजबूती से मौजूद हैं और कड़ी मेहनत से ख़ुद को स्थापित कर रहे हैं। उनमें सीखने की लालसा है, परिश्रमी हैं और उत्साह से भरे हुए हैं। दुनिया भर में आपको ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे। ऐसे लोग हर क्षेत्र में हैं।
मेरे प्रिय दोस्त सैफ़ ने इस मुद्दे पर एक पत्र लिखा है और मैं भी इस पर अपना दृष्टिकोण रखना चाहती हूं। लोगों से मेरा अनुरोध है कि इसकी ग़लत तरीक़े से व्याख्या नहीं करें और एक-दूसरे पर कीचड़ नहीं उछालें।
भाई-भतीजावाद कोई व्यक्तिगत मुद्दा नहीं
यह अपने-अपने तर्कों को रखने का सिलसिला है न कि यह कोई व्यक्तिगत दुश्मनी का मामला है। सैफ़ आपने अपने पत्र में लिखा है, ''मैं कंगना से माफ़ी मांगता हूं और मुझे इस मामले में कोई स्पष्टीकरण नहीं चाहिए क्योंकि इस मुद्दे पर अब बहुत बात हो गई है।'' लेकिन यह मुद्दा केवल मेरे लिए नहीं है।
भाई-भतीजावाद एक चलन है जिसमें लोग एक ख़ास तरह की मानवीय भावना से काम करते हैं। यह कोई बुद्धिजीवियों वाली प्रवृत्ति नहीं है। जो काम निष्पक्ष और ईमानदारी वाले मूल्यों के बजाय केवल मानवीय स्वभावों से संचालित हो रहे हैं वहां सतही और सस्ते में फ़ायदा उठाने की प्रबल संभावना होती है। ये वास्तव में रचनात्मक नहीं होते हैं और यह सवा अरब की आबादी वाले देश में लोगों की असली क्षमता पर पानी फेरने की तरह है।
भाई-भतीजावाद कई स्तरों पर है। इसमें निष्पक्षता और तर्कशीलता के लिए कोई जगह नहीं होती है। मैंने उन लोगों से इन मूल्यों को हासिल किया है जिन्होंने सच्चाई के दम पर कामयाबी के झंडे गाड़े। ये मूल्य लोगों के जीवन में कोई गोपनीय रहस्य नहीं हैं बल्कि आम जनजीवन में यह मौजूद है। इस पर किसी का एकाधिकार नहीं है।
सनी लियोन ने एक बच्ची गोद ले ली और लोगों को लग गई मिर्ची
महान हस्तियों में विवेकानंद, आइंस्टीन और शेक्सपियर का ताल्लुक किसी ख़ास से नहीं था। ये समावेशी मानवीयता से ताल्लुक रखते हैं। इनके कामों से हमारे भविष्य की दशा और दिशा तय हुई। उसी तरह से हमारे कामों की बदौलत हमारी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को दिशा मिलेगी।
आज मेरे पास उन मूल्यों के साथ डटे रहने की इच्छाशक्ति है। संभव है मैं कल कमज़ोर पड़ा जाऊं और अपने बच्चों के स्टारडम के सपने साकार करने में लग जाऊं। इस मामले में मेरा मानना है कि मैं व्यक्तिगत रूप से नाकाम होऊंगी, लेकिन इससे उस मूल्य की महिमा कम नहीं हो जाती है। ये मूल्य वक़्त के साथ मजबूती से डटे रहेंगे। हमलोगों के जाने के बाद भी।
इसलिए हम सभी को एक स्पष्टीकरण देते हैं जो या तो इसे स्वीकार करते हैं या जो अपने मूल्यों को गले लगाते हैं। जैसा कि मैं कहती हूं हम वे लोग हैं जो आने वाली पीढ़ी के भविष्य को आकार देंगे।
क्रिस गेल के डांस चैलेंज का सनी लियोन ने दिया ऐसा जवाब, जो आपको दीवाना कर देगा
पत्र के अगले हिस्से में आपने वंश और स्टार के बच्चों के संबंधों के बारे में बात की है। यहां आपने ज़ोर दिया है कि भाई-भतीजावाद एक किस्म का निवेश है और जांचे-परखे वंशानुगत गुण हैं। मैंने अपने जीवन के अहम हिस्सों को अनुवांशिकी के अध्ययन में लगाया है। मैं इस समझने में नाकाम रही कि आप अनुवांशिक रूप से हाइब्रिड घोड़े की तुलना एक कलाकार से कैसे कर सकते हैं?
क्या आप यह समझते हैं कि कलाबोध, कड़ी मेहनत, अनुभव, एकाग्रता, उत्साह, लालसा, अनुशासन और प्रेम अनुवांशिकी ख़ासियत हैं? अगर आप सही हैं तो मुझे किसान होना चाहिए था। अगर अनुवांशिकी का संबंध इतना गहरा होता है तो मेरे भीतर हालात को समझने का पैनापन और अपनी चाहतों को पीछा करने का जो समर्पण है उससे हैरान होना चाहिए।
अनुवांशिकी का तर्क ग़लत
आपको अनुवांशिकी विज्ञान को समझने वाले लोगों से बात करनी चाहिए। अब तक मैं मानती हूं कि मानव नस्ल के डीएनए से महानता और श्रेष्ठता की राह नहीं निकलती है। अगर ऐसा होता तो हम आइंस्टीन, लियोनार्डो दा विंची, शेक्सपियर, विवेकानंद, स्टीफन हॉकिन्स, टेरेंस ताओ, डेनियल डे-लिवाइस जैसी महान शख़्सियतों को फिर से अपने बीच पाते।
आपने मीडिया को भी दोषी ठहराया और कहा कि भाई-भतीजावाद का असली झंडावाहक वही है। आपकी ध्वनि से ऐसा लग रहा है कि इसकी बात करना कोई गुनाह है। हालांकि इसका सच्चाई से कोई संबंध नहीं है।
भाई-भतीजावाद मानवीय स्वभाव की महज एक कमज़ोरी है। इससे हमारी इच्छाशक्ति और हमारी आंतरिक प्रकृति से जो मजबूती हासिल होती है वह प्रभावित होती है। जो इसमें भरोसा नहीं करते हैं उनके सिर पर हम बंदूक नहीं तान सकते कि असली प्रतिभा को चुनो। ऐसे में किसी के चुनाव का बचाव करने की कोई ज़रूरत नहीं है।
वास्तव में इस मुद्दे पर मेरी अहम बातें बाहरी लोगों को कम प्रभावित करती होंगी। अन्य क्षेत्रों की तरह इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के भी सभी हिस्सों में दादागिरी, ईर्ष्या, भाई-भतीजावाद और क्षेत्रवाद जैसी मानवीय प्रवृत्तियां मौजूद हैं। अगर आपको मुख्यधारा में स्वीकार्यता नहीं मिलती है तो हार मानने की ज़रूरत नहीं है। यहां करने के लिए कई रास्ते हैं।
मैं समझती हूं कि कम से कम इस बहस पर विशेषाधिकार का इल्ज़ाम लगाया जा सकता है। इस बहस में कई तरह की प्रतिक्रियाएं आईं। परिवर्तन केवल उन लोगों के कारण हो सकता है जो इसे चाहते हैं। यह सपने देखनेवालों का विशेषाधिकार है वह क्या करना चाहता है और उसे कोई मना नहीं कर सकता है।
सलमान खान की इन दस गर्लफ्रेंड से मिले हैं क्या
आप बिल्कुल सही हैं- अमीरी और शोहरत के साथ रहने में उत्साह और प्रंशसा की कमी नहीं होती है। लेकिन हमे यह भी सोचना चाहिए कि हमारी रचनात्मक इंडस्ट्री को मोहब्बत हमारे मुल्क के लोगों से मिलती है क्योंकि हम उनके लिए आईने की तरह हैं- चाहे 'ओमकारा' का लंगड़ा त्यागी हो या 'क्वीन' की रानी हम साधारण किरदार के लिए असाधारण प्यार पाते हैं।
तो क्या हमें भाई-भतीजावाद के साथ शांति बनाई रखनी चाहिए? जिनके लिए भाई-भतीजावाद काम करता है वो उसके साथ शांति से रहें। मेरा मानना है कि यह तीसरी दुनिया के देशों के लिए एक निराशावादी प्रवृत्ति है। इन देशों में ज़्यादातर लोग पेट नहीं भर पाते हैं, बेघर हैं, कपड़े नहीं हैं और शिक्षा तो दूर की बात है। दुनिया कोई आदर्श स्थान नहीं है और शायद कभी न हो। हमलोग कला इंडस्ट्री में क्यों हैं, क्योंकि हम उम्मीद का दीपक थामे होते हैं।
Bollywood News inextlive from Bollywood News Desk
International News inextlive from World News Desk