लखनऊ(ब्यूरो)। हिंदू समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमलेश तिवारी की हत्या भरी मीटिंग में करने का प्लान था। 18 अक्टूबर को पार्टी की एक मीटिंग होनी थी लेकिन किसी कारण से मीटिंग पोस्टपोन हो गई थी और वह 20 अक्टूबर को तय थी। इसका खुलासा हत्या को अंजाम देने वाले अशफाक और मोईनुद्दीन के साथ-साथ कस्टडी रिमांड में तीनों साजिशकर्ताओं ने किया है। भरी मीटिंग में मारने के पीछे उनका उद्देश्य था कि पैगंबर के खिलाफ गलत बयान देने पर कमलेश को सरेआम मौत देना।
कहा था सुपुर्द-ए-खाक सूरत में कराना
अशफाक और मोईनुद्दीन जानते थे कि पार्टी की मीटिंग में सरेआम कमलेश तिवारी को मौत के घाट उतारने का मतलब है कि उनकी भी हत्या हो सकती है? इसलिए दोनों ने अपनी पत्नी और साजिशकर्ताओं से कहा था कि अगर उनकी मौत घटनास्थल पर होती है तो उनके शव को सूरत मंगवाकर उनकी जमीन पर ही सुपुर्द-ए-खाक किया जाए।
हमले में दोनों हुए थे घायल
कमलेश की हत्या को अंजाम देने के दौरान मोईनुद्दीन और अशफाक दोनों घायल हुए थे। मोईनुद्दीन के हाथ में गोली लगी थी जबकि अशफाक का हाथ भी चाकू के वार से जख्मी हो गया था। सूत्रों के मुताबिक अशफाक ने कमलेश को गोली मारी थी जोकि उसके जबड़े में लगी थी और पीठ की तरफ क्रास हो गई थी। वह गोली मोईनुद्दीन के हाथ को घायल करते हुए कमलेश के जबड़े में लगी होने की बात सामने आ रही है। वहीं चाकू से हमले के दौरान अशफाक का हाथ भी जख्मी हो गया था। दोनों ने बरेली में इसका इलाज भी कराया था।
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