1- किरण बेदी 1972 के बैच की पहली महिला आईपीएस अधिकारी थीं। 35 सालों तक सेवा देने के बाद 2007 में उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृति ले ली थी। किरण एक पंजाबी फैमिली से आती हैं। वो अपने पिता की दूसरी संतान हैं।
2- किरन बेदी पहली महिला बनी जिसे यूनाइटेड नेशन ने नागरिक पुलिस सलाहकार हेतु नियुक्त किया। लेकिन उन्होंने 2007 में इससे इस्तीफा दे दिया, ताकि वे सामाजिक गतिविधियों और लेख लिखने में ध्यान लगा सके। उन्होंने कई सारी किताबे लिखी और इंडिया विजन फाउंडेशन भी चला रही है।
3- 1983 में इन्दिरा गाँधी प्रधानमन्त्री के पद पर थीं और उस समय किसी खास काम से विदेश गई थीं। उनकी कार मरम्मत के लिए गैराज लाई गई थी। सड़क पर गलत साइड में खड़ी की गई थी। किरण बेदी गलत जगहों पर खड़ी गाड़ियों को क्रेन से उठवा लिया करती थीं और जुर्माना अदा करके ही वह गाड़ियाँ वापस मिलती थीं। उस मौके पर इन्दिरा गाँधी की कार का भी यही हश्र हुआ। वह उठवा ली गई और इसका नतीजा यह हुआ कि किरण बेदी का नाम क्रेन बेदी मशहूर हो गया। इसके बाद इंदिरा गांधी ने उन्हें मिलने के लिये अपने आवास पर भी बुलाया था।
4- अपनी पढ़ाई के दौरान किरण बेदी एक मेधावी छात्रा तो थीं ही लेकिन टेनिस उनका जुनून था। वर्ष 1972 में उन्होंने एशिया की महिलाओं की लान टेनिस चैंपियनशिप जीती थी और इसी वर्ष उनका इण्डियन पुलिस अकादमी में प्रवेश हुआ था। जहाँ से 1974 में वह पुलिस अधिकारी के रूप में बाहर आई थीं। किरण ने एक टीवी शो में भी काम किया। जिसका नाम था किरण की कचहरी।
5- पुलिस सेवा के दौरान किरण बेदी ने बहुत से महत्त्वपूर्ण पद सम्भाले और कठिन काम कर दिखाए। 1977 में उन्होंने इण्डिया गेट दिल्ली पर अकाली और निरंकारियों के बीच उठ खड़े हुए सिख उपद्रव को जिस तरीके से नियन्त्रित किया वह पुलिस विभाग के रेकार्ड में एक मिसाल है। 1979 में वह पश्चिमी दिल्ली की डी.सी. पुलिस थीं । इस दौरान इन्होंने इलाके में चले आ रहे दो सौ साल पुराने शराब के अवैध धँधे को एकदम बन्द कराया।
6- किरण बेदी का 1993 का कार्यकाल उनके लिए बहुत महत्त्वपूर्ण कहा जाता है। वह आई.जी. प्रिजन्स के रूप में जेलों की अधिकारी बनी। उन्होंने इस दौरान देश की एक बहुत बड़ी जेल तिहाड़ को आदर्श बनाने का फैसला किया। इस दौर में उन्होंने अपराधियों का मानवीयकरण शुरू करने के कदम उठाए। उन्होंने कहा कि वह जेल को आश्रम में बदल देंगी। किरण बेदी ने वहाँ योग, ध्यान, खेल-कूद सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ-साथ पढ़ने-लिखने की भी व्यवस्था की।
7- सरकारी काम के अतिरिक्त किरण बेदी दो दूसरी संस्थाएँ भी चलाती हैं। नवज्योति तथा इण्डियन वीजन फाउन्डेशन नशे की लत में गिरफ्त लोगों की जिन्दगी बदलने का काम करती हैं। इसमें इन लोगों को नशे से छुटकारे के अलावा उनके लिए रोजगार की व्यवस्था होती है। जिससे इनका पुनर्वास आसान हो जाता है। नशाखोरी के नियन्त्रण तथा इससे ग्रस्त लोगों के हित में किरण बेदी द्वारा किए गए प्रयत्नों के लिए इन्हें संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा सर्ज सोर्टिक मैमोरियल अवार्ड भी दिया गया। यह पुरस्कार इनकी NGO नवज्योति को 28 जून 1999 को दिया गया ।
8- जन लोकपाल विधेयक के निर्माण के लिए जारी यह आंदोलन अपने अखिल भारतीय स्वरूप में 5 अप्रैल 2011 को समाजसेवी अन्ना हजारे एवं उनके साथियों के जंतर-मंतर पर शुरु किए गए अनशन के साथ आरंभ हुआ। जिनमें मैग्सेसे पुरस्कार विजेता अरविंद केजरीवाल। भारत की पहली महिला प्रशासनिक अधिकारी किरण बेदी भी शामिल थीं।
9- दिल्ली चुनाव से पहले किरण बेदी ने भाजपा में शामिल होकर सभी को चौंका दिया। दिल्ली में अन्ना हजारे के आंदोलन के दौरान सहयोगी रहीं किरण दिल्ली विधानसभा में भाजपा की ओर से चुनाव लड़ा। बीजेपी के लिए किरण बेदी के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी में उनके आने के मौके पर पार्टी के शीर्ष नेता मौजूद थे।
10- 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में भाजपा के अभियान की कमान संभालने वाली 66 साल की किरण बेदी को पुडुचेरी का राज्यपाल नियुक्त किया गया।
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