कानपुर। पत्रकारिता की दुनिया में जोसेफ पुलित्जर का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका के मुताबिक, जोसेफ पुलित्जर' का जन्म 10 अप्रैल 1847 को हंगरी में हुआ था। जोसेफ पुलित्जर अमेरिकी अखबार के संपादक और प्रकाशक थे। इन्होंने अखबार के पैटर्न को आधुनिक करने में काफी मदद की है। अपने समय में वह अमेरिका के सबसे ईमानदार पत्रकारों में से एक थे। वह 1864 में अमेरिका आये थे, बताया जाता है कि वह अमेरिका में गृह युद्ध (1861-65) के दौरान सैनिक बनने आये थे लेकिन इसमें वह असफल रहे। जब वह अमेरिका आये तो उन्हें कोई नहीं पहचानता था और उनके पास पैसे भी नहीं थे। यहां तक उन्हें अंग्रेजी तक बोलने नहीं आती थी।
पहले रिपोर्टर का करते थे काम
युद्ध के बाद पुलित्जर अमेरिका के सेंट लुइस में रहने लगे, जहां उन्हें 1868 में जर्मन-भाषा के दैनिक अखबार 'वेस्टलिच पोस्ट' में एक रिपोर्टर की नौकरी मिली। 1871 में उन्होंने उस अखबार का एक शेयर खरीदा लेकिन जल्द ही उसे प्रॉफिट के लिए बेच दिया। इस बीच पुलित्जर राजनीति में भी सक्रिय हो गए थे और वह 1869 में मिसौरी राज्य विधानमंडल के लिए चुने गए। 1871-72 में उन्होंने मिसौरी में लिबरल रिपब्लिकन पार्टी को संगठित करने में मदद की, जिसने 1872 में राष्ट्रपति पद के लिए होरेस ग्रीले को नामित किया।
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1917 में हुई 'पुलित्जर प्राइज' की शुरुआत
पुलित्जर प्राइज की आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकरी के अनुसार, 1878 में उन्होंने 'सेंट लुइस पोस्ट डिस्पैच' और उसके पांच साल बाद 'न्यूयॉर्क वर्ल्ड' अखबार की शुरुआत की। ये दोनों अखबार पत्रकारिता के जबरदस्त उदाहरण माने जाते थे। इसी तरह अपनी मेहनत से पुलित्जर अमेरिका के सबसे धनी व्यक्तियों में से भी एक हो गए थे। उन्होंने 1912 में खुले Columbia University School of Journalism को अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा दान कर दिया था। इसी यूनिवर्सिटी ने 1917 में 'पुलित्जर प्राइज' की शुरुआत की। यह प्राइज उन लोगों को दिया जाता है, जो पत्रकारिता के क्षेत्र में ईमानदारी और सही चालाकी से काम करते हैं।
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