मुंबई (हिटलिस्ट)। कहना गलत नहीं होगा कि आज की डेट में जॉन अब्राहम एक ऐसे एक्टर बन गए हैं जो 'पेट्रियॉटिक अंडरटोन' वाली मूवीज के लिए पहली पसंद बनते जा रहे हैं। परमाणु: द स्टोरी ऑफ पोखरण, सत्यमेव जयते और रोमियो अकबर वॉल्टर के बाद उनकी अपकमिंग मूवी बाटला हाउस भी एक ऐसा ही प्रोजेक्ट है। इसपर जॉन का कहना है, 'जब आप अपने देश से प्यार करते हैं तो ऐसी कहानियों की तरफ अट्रैक्ट हो जाते हैं। मुझे पेट्रियॉटिक मूवीज पसंद हैं पर मैं एक 'जिंगोइस्टिक' फिल्म नहीं बनाऊंगा।' उनकी अपकमिंग मूवीज में वैराइटी होगी।
अग्री नहीं करते हैं तो 'नो प्रॉब्लम'
जॉन बताते हैं कि 2008 में दिल्ली में हुए पुलिस एनकाउंटर जैसे सेंसिटिव इश्यू पर बनी इस मूवी को लेकर अनबायस्ड व्यू बरकरार रखना बहुत जरूरी था। उनके मुताबिक, 'हम अपने जजमेंट को हावी नहीं होने दे सकते थे। हमने स्पेशल सेल, गवाहों, टेररिस्ट/ विक्टिम और कोर्ट के प्वॉइंट ऑफ व्यू से इस कहानी को सुनाया है। हमने मूवी को डिबेट के लिए ओपन रखा है। हम खुश होंगे अगर कोई हमारे प्वॉइंट ऑफ व्यू से इत्तेफाक नहीं रखेगा क्योंकि इससे डिस्कशन होगा और यही हमारा गोल है।'
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क्या वक्त पर हो पाएगी रिलीज?
हालांकि, ऐसा लगता है कि इस मूवी का फिल्मी पर्दे तक का सफर आसान नहीं रहेगा। दरअसल, बाटला हाउस एनकाउंटर के आरोपियों ने हाई कोर्ट में इस मूवी की रिलीज टालने की पिटीशन डाली है। उनका कहना है कि यह ट्रायल पर असर डाल सकती है। इसको लेकर जॉन बोले, 'मामला कोर्ट में है इसलिए मैं कमेंट नहीं कर सकता। हमें कानून पर भरोसा है और हम कोर्ट को ही तय करने देंगे। पर 'सीबीएफसी' ने मूवी देखी है और इसे 'यू/ए' सर्टिफिकेट दिया है। मूवी के साथ 'डिसक्लेमर' भी लगा होगा कि यह एक सच्ची कहानी से इंस्पायर्ड है।'
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