नई दिल्ली (पीटीआई)। दिल्ली पुलिस ने सोमवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्रों के यूनियनों द्वारा कई दलीलों के बावजूद देर से पहुंचने के आरोप को खारिज कर दिया, उन्होंने कहा कि कैंपस में हिंसा को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने प्रोफेशनली प्रतिक्रिया दी। पत्रकारों को संबोधित करते हुए, दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता मनदीप सिंह रंधावा ने कहा कि जेएनयू की आंतरिक सुरक्षा यूनिवर्सिटी प्रशासन के साथ है। उन्होंने कहा, 'हमने पेशेवर रूप से पीसीआर कॉल और कानून-व्यवस्था की स्थिति पर प्रतिक्रिया दी है। इसके अलावा रविवार को कैंपस में नकाबपोश भीड़ द्वारा छात्रों पर हमला किए जाने के बाद शुरू की गई जांच पर उन्होंने कहा कि क्राइम ब्रांच को कुछ अहम सुराग मिले हैं और वह इस पर काम कर रहे हैं।
जांच के लिए कांग्रेस ने बनाई एक टीम
वहीं, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में हुई हिंसा की विस्तृत जांच के लिए कांग्रेस ने सोमवार को चार सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग समिति का गठन किया है। एआईसीसी महासचिव के सी वेणुगोपाल ने अपने बयान में कहा, 'कांग्रेस अध्यक्ष ने जेएनयू घटना पर एक तथ्य खोज समिति की नियुक्ति की है। उन्हें जेएनयू कैंपस में हुई हिंसा की घटना की विस्तृत जांच करने और एक सप्ताह के भीतर पार्टी प्रमुख को रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।' फैक्ट फाइंडिंग समिति के सदस्यों में महिला कांग्रेस प्रमुख सुष्मिता देव, सांसद और जेएनयू एनएसयूआई के पूर्व अध्यक्ष सैयद नसीर हुसैन, और पूर्व एनएसयूआई अध्यक्ष अमृता धवन शामिल हैं।
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पूरे भारत में शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन
बता दें कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्रों और शिक्षकों पर हमले को लेकर सोमवार को पूरे भारत में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है। इस हमले में 34 लोग घायल हो गए हैं। कुलपति पर आरोप लगाया जा रहा है कि उन्होंने इस हिंसा को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की और लोग उनसे इस्तीफा की मांग कर रहे हैं। हालांकि, इस मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तार नहीं हुई है, दिल्ली पुलिस ने इस मामले को क्राइम ब्रांच को सौंप दिया है, जिन्होंने दावा किया है कि हिंसा को लेकर कुछ महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं। सभी दलों के राजनेताओं ने हिंसा की निंदा की हैं। विपक्षी और जेएनयू छात्रों ने हिंसा के लिए भाजपा के छात्र संगठन एबीवीपी को दोषी ठहराया और दिल्ली पुलिस पर कार्रवाई ना करने का आरोप लगाया है। भाजपा ने कहा कि परिसरों को राजनीतिक युद्ध का मैदान नहीं बनना चाहिए।
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