रांची (ब्यूरो)। गवर्नर हाउस के सामने स्थित जाकिर हुसैन पार्क अक्टूबर 2021 में आम लोगों के लिए पुन: शुरू किया गया। इसके पहले 8 साल से यह पार्क बंद पड़ा हुआ था, लेकिन शुरू होने के तीन साल के अंदर ही पार्क की स्थिति बेहद खराब हो गई। अब यहां कोई घूमने के लिए आना नहीं चाहता है। वहीं जो सामान भी लगाए गए थे वे भी खराब हो रहे हैं। पार्क के शुरू होने से शहर के बच्चों के खेलने के लिए एक बेहतरीन जगह थी, यह शहर के सबसे बीच में स्थित है, जहां पूरे शहर के लोग पहुंचते हैं, लेकिन पार्क की स्थिति हर दिन खराब होती जा रही है।

तीसरे राष्ट्रपति के नाम पर

देश के तीसरे राष्ट्रपति डॉ जाकिर हुसैन के नाम पर राजधानी रांची में पार्क बना हुआ है, लेकिन यह पार्क बदहाल हो चुका है। इसकी बदहाली को संवारने में नगर निगम भी रुचि नहीं दिखा रहा है। हालांकि तीन साल पहले 75 घंटे में इस पार्क का कायाकल्प किया गया था, लेकिन जितनी तेजी से पार्क को सजाया-संवारा गया, उससे भी तेजी से यह फिर एक बार बर्बाद हो गया। आज तक इसके सौंदर्यीकरण या इसे दोबारा खोलने को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया गया। पार्क की देखरेख के लिए एक कर्मचारी नियुक्त किया गया है, जो खुद यह बताता है कि पार्क बंद होने के कगार पर है। यहां साफ-सफाई तो होती है, लेकिन मनोरंजन के सभी साधन बर्बाद हो चुके हैं। झूले से लेकर फाउंटेन समेत अन्य सभी संसाधन खत्म हो चुके हैं। कुछ पेड़-पौधे लगे हुए हैं, अब वे भी सूखने लगे हैं।

पांच दशक पहले बना पार्क

राजभवन के समीप बने इस पार्क की बदहाली के कारण गवर्नर हाउस और आसपास के पूरे इलाके की शोभा खराब हो रही है। पार्क में बना झरना बर्बाद हो चुका है। यहां लगे कुर्सी और मेज में जंग लग चुका है। साल 2013 में तत्कालीन डिप्टीे मेयर संजीव विजयवर्गीय ने पार्क के रिडेवलपमेंट करने की घोषणा की, लेकिन हकीकत में हुआ कुछ नहीं। राजधानी का यह पार्क काफी पुराना है। इस पार्क का निर्माण साल 1969 में हुआ था। लेकिन 2021 में इसे फिर से रिनोवेट कर आम पब्लिक के लिए खोला गया था। यह स्थान बच्चों को काफी पंसद था। कभी बच्चों की किलकारियों से पार्क गूंजा करता था। युवा और बुजुर्ग भी सुकून के दो पल बिताने यहां आते थे। लेकिन आज यहां सन्नाटा पसरा रहता है। बीते दस साल से पार्क में ताला लटका हुआ है। दो साल पहले कुछ दिनों के लिए खोला जरूर गया, लेकिन फिर से इसका दरवाजा बंद हो गया।

एक एकड़ का पार्क 20 डिसमिल में सिमटा

आसपास के लोगों ने बताया कि पार्क का जब निर्माण हुआ था, यह काफी बड़ा था। करीब एक एकड़ में पार्क का निर्माण कराया गया था। लेकिन आज यह सिर्फ 20 डिसमिल में सिमट कर रह गया है। पार्क की हालत दिनोंदिन बदहाल होती जा रही है। यह स्थान अब लोगों के घूमने और मनोरंजन का न रह कर टॉयलेट, गुटखा थूकने, शराब पीने और कूड़ा-कचरा फेंकने के लिए रह गया है। सिटी के बीचोबीच बने इस पार्क की बदहाली के कारण पूरे शहर की इमेज खराब हो रही है। हर शाम यहां शराबियों और जुआरियों का जमावड़ा लगता है।

पार्क के पास ऑटो स्टैंड

इस पार्क की रही-सही कसर अवैध ऑटो वाले पूरी कर देते हैं। पार्क के सामने ही अवैध ऑटो स्टैंड बना दिया गया है। लेकिन प्रशासन और जिम्मेवार विभाग आंखें बंद कर तमाशा देख रहे हैं। पास ही धरना प्रदर्शन होता है। देखभाल के अभाव में पार्क में जहां-तहां घनी झाडिय़ां उग आई हैं। पार्क में लगे झूले खराब हो गए हैं। गेट में भी जंग लगा हुआ है। इसके अलावा जहां-तहां गंदगी का अंबार लगा हुआ है। लंबे अर्से से बंद रहने के कारण अब लोगों को भी याद नहीं कि इस स्थान पर कोई पार्क भी है। वहीं पार्क के समीप का स्थान धरना स्थल में बदल चुका है। आए दिन कोई न कोई ग्रुप यहां धरने पर बैठा रहता है। इसके अलावा आंदोलन और प्रदर्शन करने के लिए अलग-अलग संगठन इसी स्थान को चुनते हैं, जिस कारण यहां पूरे दिन जाम की स्थिति भी बनी रहती है।

75 घंटे में हुआ था जीर्णोद्धार

रांची नगर निगम ने मात्र 75 घंटे में राजभवन के पास स्थित डॉ जाकिर हुसैन पार्क का जीर्णोद्धार किया था, जिसकी उस समय मुख्यमंत्री ऑफिस ने ट्वीट कर सराहना की थी। सीएम ऑफिस ने लिखा था कि डॉ जाकिर हुसैन पार्क का जीर्णोद्धार करते हुए रांचीवासियों के मनोरंजन के लिए शुरू किया गया। निगम की टीम ने 75 घंटे में पार्क का स्वरूप बदल दिया।