रांची(ब्यूरो)। विदेश जाने वाले लोगों को कई देशों में येलो वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट मांगा जाता है। अब यह सर्टिफिकेट रिम्स में ही मिलेगा। भारत से बाहर कई ऐसे देश हैं जहां येलो फ वर का प्रकोप बहुत ज्यादा है। ऐसे में उन देशों में जाने से पहले इसका वैक्सीनेशन सर्टिफि केट दिखाना पड़ता है। बिना वैक्सीनेशन के जाने से संक्रमित होने का डर बना रहता है। इसके लिए झारखंड के लोगों को पटना या कोलकाता जाना पड़ता हैं, जहां वो इसकी वैक्सीन ले पाते हैं।

अब रिम्स में ही वैक्सीनेशन

राज्य के लोगों को अब येलो फीवर के वैक्सीनेशन के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा। स्वास्थ्य मंत्रालय के क्षेत्रीय निदेशक की टीम ने रिम्स का निरीक्षण किया है। इस प्रक्रिया को देखते हुए रिम्स के पीएसएम विभाग में दो कमरों का आवंटन भी किया गया है। टीम से अप्रूवल सर्टिफि केट मिलते ही रिम्स में इसकी वैक्सीन उपलब्ध करा दी जाएगी।

क्या है येलो फीवर

येलो फ वर एक तीव्र हैमरैजिक रोग है, जो मनुष्यों में संक्रमित मच्छर के काटने से होता है। इसके संक्रमित रोगियों में से 50 प्रतिशत की मौत हो जाती है। इसके प्रमुख लक्षणों में बुखार, सिर दर्द, मुंह, नाक, कान और पेट में रक्त स्राव, उलटी, मितली, जी मचलना, लीवर और किडनी के काम करने में समस्या, पेट में दर्द, पीलिया हैं।

ऐसे फैलता है येलो फ वर

एक खास प्रजाति के मच्छर की वजह से येलो फ वर फैलता है। इसके वैक्सीनेशन सर्टिफि केट की जरूरत विदेश जाने से पहले पड़ती है। येलो फ वर वायरस से उत्पन्न एक हैमरैजिक रोग है, जो संक्रमित मच्छर के काटने से इंसानों में फैलता है। इस बुखार को येलो फीवर इसलिए कहते हैं क्योंकि इसमें येलो शब्द पीलिया की ओर संकेत करता है। कुछ रोगियों में इसके लक्षण भी देखे जाते हैं और यह बुखार मनुष्य के पूरे शरीर को ही प्रभावित करके रख देता है।

पटना-दिल्ली जाने से मिलेगी राहत

येलो फ वर वैक्सीनेशन के लिए राज्य के लोगों को अभी पटना या फि र कोलकाता जाना पड़ता है। बहुत जल्द ही यह वैक्सीन रिम्स में मिलने लगेगी। एक खास प्रजाति के मच्छर से येलो फीवर यानी पीत ज्वर फैलता है। भारत से विदेश खासकर अफ्रीका और साउथ अमेरिका जैसे देशों में जाने से पहले इसके वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ती है। क्योंकि ऐसे देशों में येलो फ वर का काफ प्रकोप है। बिना इस वैक्सीन को लिए जाने पर लोगों को इंफेक्शन का खतरा रहता है।