RANCHI : आपने अगर कुछ सपने देख रखे हैं। उन सपनों को हकीकत में बदलना चाहते हैं, तो इसकी तैयारी पहले से ही कर लें। यह कहना है लेखक पंकज दूबे का। अपनी लिखी पुस्तक 'लूजर कहीं का' के बारे में बताने के लिए वह मंडे को रांची में मौजूद थे। गौरतलब है कि लूजर कहीं का बुक को इस साल फरवरी में बेस्ट सेल का खिताब मिला है। इसी पुस्तक पर इसी नाम से एक मूवी भी बनाई जा रही है। पंकज दूबे नाच गणेश और गिली जैसी शॉर्ट मूवी के प्रोड्यूसर भी रहे हैं। इसके अलावा घनचक्कर और चौरंगा मूवी की स्क्रिप्ट भी इन्होंने ही सुपरवाइज किया है।
क्रिएटिव करने का जुनून
पंकज दूबे ने बताया कि उन्हें बचपन से ही कुछ क्रिएटिव करने का जुनून था। वह कहते हैं- उन दिनों अटेंशन मिलने पर मुझे काफी अच्छा लगता था। वैसे मेरा एकेडमिक रिकॉर्ड बहुत बेहतर नहीं है, लेकिन लगता था कि मैं स्क्रिप्ट राइटिंग में बेहतर कर सकता हूं। लंदन में मैंने देखा कि किस तरह हैरी पॉटर की इश्यू लेने के लिए लोग सुबह से ही क्यू में खड़े हो जाते थे। इसे देखने के बाद मुझे लगा कि बुक लिखने से क्रेज काफी बढ़ जाता है।
सिर्फ लूजर नहीं
पंकज दूबे कहते हैं- दुनिया में सिर्फ लूजर्स नहीं हैं। यूजर्स की बड़ी संख्या है। हमारे देश में लोगों की एवरेज एज 70 साल है। अगर मेरी मौत फ्भ् साल की उम्र में हो जाए, तो यह खबर अखबार में कैसे आए? बेहतर होगा कि हम अपने सपने को साकार कर लें, तो इसका इंपैक्ट निश्चित तौर पर हमारी इमेज पर पड़ेगा। आप पहले से ही तय कर लें कि आपके सपने का आकार कितना हो।
गुदगुदाएगी यह स्टोरी
लूजर कहीं का बुक एक ऐसे यूथ की कहानी है, जो सिविल सर्विसेज की तैयारी करने के लिए दिल्ली जाता है। हिंदीभाषी क्षेत्र से बिलांग करने वाला युवक दिल्ली पहुंचकर सपनों में खो जाता है। दरअसल यह कहानी कुछ यूं है। एक क्लर्क का बेटा अनिल कुमार सिन्हा बेगुसराय से सत्तू और अचार का डिब्बा लेकर दिल्ली के मुखर्जी नगर जाता है। वह कूल बनना चाहता है, इस कारण अपना नाम बदलकर पैक्स कर लेता है। यहां आकर उसकी चाहत पंजाबी गोरी युवती के साथ संबंध बनाना है। इस बीच यहां उसकी मुलाकात आईएएस बनने की चाह रखनेवाले तीन और युवकों से होती है। सिविल सर्विसेज की प्रिपरेशन के दौरान उसे कॉलेज की पॉलिटिक्स का सामना करना पड़ता है। हिंदी पट्टी वाले और हरियाणा के युवकों के बीच टकराव होता है और इस बीच उसकी लाइफ में एक मिल्की ह्वाइट लड़की आती है। इस स्टोरी में आगे भी कई उतार-चढ़ाव आते रहते हैं।
::बॉक्स::
पंकज दूबे के बारे में
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